वेयरहाउसिंग खंड में एक नई तरह का रुझान सामने आ रहा है। इमसें जीआईसी और ब्लेकस्टोन जैसी निवेशक कंपनियां उतर रही हैं तो एंबेसी जैसी पुरानी कंपनियां इससे बाहर निकलने पर विचार कर रही हैं।
पिछले महीने सिंगापुर की सॉवरिन फंड जीआईसी ने लॉजिस्टिक्स निवेशक सह डेवलपर ईएसआर के साथ 75 करोड़ डॉलर के संयुक्त उद्यम की घोषणा की थी जिसके जरिये देश में गोदाम स्थापित किए जाएंगे। हालांकि जीआईसी ने गोदामों की स्थापना के लिए 2018 में इसी तरह का संयुक्त उद्यम के रहेजा कॉर्प के साथ बनाया था लेकिन उसमें बहुत प्रगति नहीं हो पाई थी।
एक और उदाहरण लें तो शापूरजी पलोनजी समूह ने अबू धाबी की सॉवरिन फंड अबू धाबी निवेश प्राधिकरण (एडीआईए) के साथ 1.3 अरब डॉलर की अपनी महत्वाकांक्षी लॉजिस्टिक्स उद्यम को स्थगित कर दिया था जिसकी वजह उसकी आंतरिक ऋण संबंधी मुद्दे और महामारी थी। सूत्रों का कहना है कि वह नए उद्यम के लिए पूंजी नहीं देना चाहती है।
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि उद्यम की घोषणा नई तारीख पर की जाएगी।
एक ओर जहां एंबेसी इंडस्ट्रियल पाक्र्स से एंबेसी समूह और वारबर्ग पिनकस नियोजित तरीके से बाहर नहीं हो सकी क्योंकि मूल्यांकन पर मतभेद होने के कारण जेवी साझेदारों और ईएसआर तथा इंडोस्पेस के बीच अलग से सौदा पूरा नहीं हो सका।
वहीं एंबेसी समूह में एक सूत्र ने कहा कि नए निवेशकों के साथ उनकी बातचीत चल रही है।
निसस फाइनैंस सर्विसेज में पार्टनर रितुराज वर्मा ने कहा कि कारोबार करने के लिहाज से भारत एक मुश्किल बाजार है और स्पष्ट मालिकाना हक वाली सस्ती जमीन की उलब्धता कम होने के कारण वेयरहाउसिंग दीर्घावधि का सौदा है।
वर्मा ने कहा, ‘समेकन की ताजी लहर में दीर्घकालिक पूंजी स्टार्टअप पूंजी का स्थान ले रही है और चूंकि मुश्किलें उसी तरह से कायम है, कारोबारियों ने जमीनी हकीकत को जान लिया है और उम्मीदे अधिक वास्तविक हो गई हैं। अगर किसी भी कारण से यह क्षेत्र निवेशकों के लिए आकर्षक बना है तो वह है मोटे तौर इसका कोविड से अप्रभावित रहना और पिछले एक वर्ष में इसने बड़े स्तर पर लचीलापन दिखाया है।’
हाल के वर्षों में भी देश में नए उद्यमों का उभार देखा गया है।
2019 के अंत में अमेरिका स्थित फंड मैनेजर ब्लैकस्टोन ने ग्रीनबेस के साथ एक संयुक्त उद्यम बनाया था। हीरानंदानी समूह की एक कंपनी देश भर में वेयरहाउसिंग और लॉजिस्टिक्स पाक्र्स का विकास करेगी। समान हिस्सेदारी वाले संयुक्त उद्यम ने तीन से चार साल में देश भर में करीब 1.2 करोड़ वर्गफुट की औद्योगिक और वेयरहाउसिंग संपत्ति को विकसित करने के लिए 2,500 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है।
जेवी ने 20 लाख वर्गफुट का वेयरहाउसिंग तैयार किया है और इतने ही जगह का विकास किया जा रहा है।
उसी वर्ष रियल एस्टेट कंपनी पूर्वांकरा और मॉर्गन स्टैनली द्वारा प्रबंधित एक निवेशक फंड ने वेयरहाउसिंग प्लेटफॉर्म को स्थापित करने के लिए एक समझौता किया। इसके तहत दक्षिण भारत में औद्योगिक पार्क स्थापित किए जाएंगे।
हीरानंदारी समूह में समूह निदेशक और मुख्य कार्याधिकारी एन श्रीधर ने कहा, ‘कई बड़ी फंड कंपनियां संपत्ति लेना चाह रहीं हैं लेकिन रकम का निवेश एक चुनौती है। इसकी वजह है कि देश में बहुत कम विकसित संपत्तियां उपलब्ध हैं। जमीन खरीदना आसान नहीं है। एक एकड़ जमीन में से आप केवल 50 फीसदी पर निर्माण कर सकते हैं क्योंकि तल क्षेत्र सूचकांक 0.5 है।’
