दक्षिण पश्चिमी मॉनसून की आधिकारिक रूप से देश से 6 अक्टूबर से वापसी शुरू होने का अनुमान है। यह सबसे देरी से होने वाली मॉनसून वापसी में से एक होगी। इस देरी की वजह से जून से सितंबर के दौरान देश में सामान्य मॉनसूनी बारिश दर्ज की गई है।
आज की गणना के मुताबिक 4 माह लंबे दक्षिण पश्चिम मॉनसून के दौरान कुल 874.6 मिलीमीटर बारिश रिकॉर्ड की गई है, जो सामान्य औसत बारिश से महज एक प्रतिशत कम है।
भारतीय मौसम विभाग के महानिदेशक एम महापात्र ने कहा, ‘मात्रा के हिसाब से देखें तो 2021 में पूरे देश में मॉनसून सत्र के दौरान 30 सितंबर तक बारिश 87 सेंटीमीटर रही, जबकि 1961 से 2010 के बीच का दीर्घावधि औसत 88 सेंटीमीटर का है। यह दीर्घावधि औसत का 99 प्रतिशत है।’
उन्होंने कहा कि दक्षिण पश्चिम मॉनसून सत्र में देश में बारिश कुल मिलाकर जून-सितंबर के दौरान सामान्य (दीर्घकालीन औसत के 96 से 106 प्रतिशत के बीच) रही है।
यह लगातार तीसरा साल है, जब देश में बारिश सामान्य या सामान्य से ऊपर रही है। 2019 और 2020 में यह सामान्य से ऊपर थी।
दक्षिण पश्चिमी मॉनसूनी बारिश, जो भारत के किसानों के लिए अहम होती है, सामान्यतया केरल के तट पर 1 जून को शुरू होती है और सितंबर के मध्य में उत्तर पश्चिमी राज्य राजस्थान से वापसी करती है।
मॉनसूनी बारिश अहम है, क्योंकि भारत की कृषि के आधे हिस्से की सिंचाई सालाना होने वाले मॉनसूनी बारिश पर निर्भर है।
भारत की अर्थव्यवस्था में कृषि की हिस्सेदारी करीब 15 प्रतिशत है, जो एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और यहां की आबादी 1.3 अरब से ऊपर है।
मौसम विभाग ने कहा कि भारत में अगस्त के अंत तक सामान्य से 9 प्रतिशत कम बारिश हुई थी, लेकिन सितंबर महीने में भारी बारिश के कारण यह कमी सिर्फ 1 प्रतिशत रह गई।
दरअसल सितंबर में देरी से बारिश 260.44 मिलीमीटर रहने का अनुमान लगाया गया था, जो इस शताब्दी में सितंबर में सर्वाधिक बारिश है।
