भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) अब एक नया प्रयोग शुरू कर रहा है। इस नए प्रयोग से किसानों और प्रशासन को मॉनसून में वर्षा वितरण के सटीक अनुमान के आधार पर कृषि संबंधी तैयारियां चाक-चौबंद रखने में मदद मिलेगी। विभाग वर्ष 2021 के मॉनसून में जून से सितंबर अवधि के लिए मासिक आधार पर लॉन्ग रेंज फॉरकास्ट (एलआरएफ) पूर्वानुमान देना शुरू करेगा। मौसम विभाग अब तक मॉनसून के दौरान केवल तीन महीनों का एलआरएफ दे रहा था। सबसे पहले शुरुआती अनुमान होता है, जिसकी घोषणा अमूमन अप्रैल मध्य में की जाती है और जून में दूसरे चरण के अनुमान में इसमें आवश्यकतानुसार संशोधन किया जाता है। मौसम विभाग चार मुख्य क्षेत्रों-उत्तर-पश्चिम, पूर्व एवं पूर्वोत्तर, केंद्रीय और दक्षिण प्रायद्वीपीय भागों- के लिए क्षेत्रवार पूर्वानुमान लगाया करता था और जरूरत पडऩे पर दूसरे पूर्वानुमान में इसमें संशोधन भी किया जाता था।
इसके बाद विभाग ने अगस्त में मॉनसून के शेष बचे दो महीनों के लिए भी पूर्वानुमान व्यक्त करता है। हालांकि विभाग चारों क्षेत्रों के लिए माहवार और क्षेत्रवार आधार पर जून, जुलाई, अगस्त और सितंबर के लिए सटीक एवं अद्यतन वर्षा एवं इसके वितरण का पूर्वानुमान नहीं दे पा रहा था। इसके अलावा, मॉनसूनी बारिश पर निर्भर राज्यों जैस गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, ओडिशा और झारखंड के लिए भी अलग से वर्षा के पूर्वानुमान नहीं दिए जाते थे।
इन सूचनाओं के अभाव से कृषि कार्यों को लेकर योजना तैयार करने एवं प्रशासनिक स्तर पर प्रबंधन ठीक से नहीं हो पाता था। देश के इन राज्यों में कृषि कार्य पूरी तरह मानसून पर निर्भर है। हालांकि अब मौसम विभाग की नई पहल से कृषि के लिए वर्षा पर आधारित इन राज्यों में सूरत काफी बदल जाएगी।
मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र ने कहा कि विभागकई वर्षों से पूरे देश के लिए एलआरएफ पूर्वानुमान जरूर दे रहा था, लेकिन इस दौरान नियमित एवं माहवार आधार पर एलआरएफ की मांग उठती रही है। विभाग मॉनसून एवं वर्षा का पूर्वानुमान लगाने के लिए 2016 से जिस तकनीक का इस्तेमाल कर रहा था वह नियमित अंतराल पर अनुमान व्यक्त करने के लिए पर्याप्त नहीं थी। हालांकि भू-विज्ञान मंत्रालय की मदद से मौसम विभाग ने पूरे देश के लिए क्षेत्रवार वर्षा वितरण के साथ एलआरएफ की आवृत्ति बढ़ाने की दिशा में काम शुरू कर दिया। खासकर मंत्रालय के सचिव डॉ. एम राजीवन ने मौसम विभाग का विशेष उत्सावद्र्धन किया।
महापात्र ने कहा कि राजीवन के दिशानिर्देशों के अनुसार मौसम विभाग ने नियमित एवं अधिक से अधिक पूर्वानुमान देने की दिशा में कदम आगे बढ़ाना शुरू कर दिया। विभाग ने पूर्वानुमान लगाने के लिए अपनी तकनीक पर निर्भर रहने के साथ ही दुनिया में उपलब्ध नूमेरिकल फॉरकास्टिंग टेकनिक की भी मदद ली। विभाग लंबे समय से वल्र्ड मेटोरॉलॉजिकल (डब्ल्यूएमओ) का सदस्य भी रहा है।
हालांकि ऊपर से ये पूरी कवायद अधिक तकनीकी एवं नियमित जान पड़ती है लेकिन कई विशेषज्ञों के अनुसार आईएमडी का ताजातरीन पूर्वानुमान भविष्य के लिए काफी महत्त्वपूर्ण है। अब तक केवल पूरे देश के लिए एलआरएफ उपलब्ध था लेकिन हरेक महीने क्षेत्रवार आधार पर यह आंकड़ा उपलब्ध नहीं हो पाता था। जून से सितंबर तक हरेक महीने पूर्वानुमान उपलब्ध होने से कृषि कार्यों की योजना तैयार करने में किसानों को मदद मिलेगी। तब्दीली करनी होगी। इतना ही नहीं, अंतिम क्षेणों में मौसम में होने वाले बदलाव भी नए एलआरएफ में दिखेंगे।
