पश्चिम बंगाल की 59 जूट मिलों के अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने से जूट की आपूर्ति में करीब 87 फीसदी तक की कमी हुई है।
कपड़ा मंत्रालय के एक पत्र के मुताबिक, अभी चलने वाली और बी टि्वल की आपूर्ति करने वाली 18 मिलें (7 पश्चिम बंगाल और 11 बाहर की) हर महीने 20 हजार गांठों का उत्पादन कर सकती हैं। इसके लिए जरूरी है कि इन मिलों को जूट की 1.6 लाख गांठों की हर महीने आपूर्ति की जाए।
इस मामले ने ऐसा मोड़ ले लिया है कि उपभोक्ता मामलों, खाद्य और जनवितरण प्रणाली मंत्रालय भी आशंकित हैं कि ये मिलें विभिन्न राज्यों और 2008-09 और 2009-10 के खरीफ (केएमएस) तथा रबी (आरएमएस) सीजन के दौरान जूट बोरी खरीदने वाली एजेंसिंयों की मांगों को पूरी करने में सक्षम होगी भी या नहीं।
कपड़ा मंत्रालय के अनुसार, केएमएस के लिए अभी भी 1.32 लाख गांठों की जरूरत है और अनुमान है कि 2009-10 के आरएमएस के लिए करीब 9 लाख गांठों की आवश्यकता होगी। जूट मिलों की क्षमता 1.75 लाख गांठों की है और 31 मई 2009 तक की जरूरत की आपूर्ति करना असंभव हो सकता है।
ऐसी परिस्थिति में कपड़ा मंत्रालय आरएमएस 2009-10 की आपूर्ति की पैकेजिंग के लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की योजना बना रहा है। पत्र में उल्लेख किया गया है कि पंजाब सरकार को दी गई 80 हजार गांठों की छूट भी इस साल इस्तेमाल नहीं की जा सकी।
आरएमएस 2009-10 की स्थिति से निपटने के लिए इस ऑर्डर को और छह महीने के लिए बढ़ाया जाएगा। पश्चिम बंगाल की जूट मिलों की हड़ताल के चलते खरीफ सीजन की शेष आपूर्ति करने में भी यह उद्योग विफल रहा है।
अभी तक खरीफ सीजन की मांग में से 85 हजार गांठों की आपूर्ति होनी बाकी है। उत्तर प्रदेश सरकार जल्द ही 60 हजार गांठों की अतिरिक्त मांग कर सकती है।