वाणिज्यिक कोयले की दूसरे दौर की नीलामी में कोयला मंत्रालय को 34 कंपनियों से तकनीकी बोली हासिल हुई है। इन कंपनियों में वेदांता लिमिटेड, बालको, हिंडालको, सनफ्लैग ऑयरन ऐंड स्टील, अडाणी पावर और आधुनिक पावर आदि शामिल हैं। बोली लगाने वाली ज्यादातर कंपनियां स्टील और लौह उद्योग की हैं।
तीन सरकारी कंपनियों, छत्तीसगढ़ मिनरल डेलवपमेंट कॉर्पोरेशन लिमिटेड, झार मिनरल रिसोर्सेज प्राइवेट लिमिटेड, एमपी नैचुरल रिसोर्सेज पावर लिमिटेड ने भी अपनी बोली दाखिल की है।
सबसे ज्यादा संख्या में सनफ्लैग ऑयरन ऐंड स्टील कंपनी और अरविंदो रियल्टी ने बोली दाखिल की है। झारखंड की बुराखाप स्माल पैच कोल माइन के लिए सबसे ज्यादा 5 बोली आई है। दूसरे दौर की नीलामी के लिए कोयला मंत्रालय ने 19 खदानों को चुना है। इन खदानों में से 10 पूरी तरह अन्वेषित और 9 आंशिक अन्वेषित खदानें हैं।
इनमें से 4 कोकिंग कोल खदानें हैं और शेष 15 गैर कोकिंग कोल खदानें हैं। कोयला मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि 8 कोयला खदानों के लिए दो या उससे ज्यादा बोली हासिल हुई है।
केंद्र सरकार ने 2020 में कोयला खदान क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोल दिया था, जिससे वे 47 साल बाद कोयला खदान और उसकी वाणिज्यिक बिक्री में उतर रही हैं। 47 साल पहले कोयला क्षेत्र का राष्ट्रीयकरण किया गया था। संशोधिक कोयला खदान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 2015 के माध्यम से कोयले की नीलामी गैर खनन, एमएसएमई और विदेशी कंपनियों के लिए खोला गया है। नवंबर में दो हिस्सों की नीलामी संपन्न हुई थी, जब कंपनियों ने कुल 38 कोयला ब्लॉकों में से 19 के लिए बोली दाखिल की थी।
बोली हासिल करने वाली कंपनियों में अदाणी इंटरप्राइजेज, हिंडालको, वेदांता लिमिटेड, आदित्य बिड़ला समूह की एस्सेल माइनिंग, जिंदल स्टील ऐंड पावर लिमिटेड और कुछ नई व गैर खनन कंपनियां जैसे अरविंदो रियल्टी, यजदानी इंटरनैशनल, जेएमएस माइनिंग और बोल्डर स्टोन मार्ट शामिल थीं। करीब 65 प्रतिशत बोलीकर्ता खुद कोयला इस्तेमाल करने वाले नहीं थे। इसके बाद केंद्र सरकार ने रोलिंग ऑक्शन के तहत वाणिज्यिक इस्तेमाल के लिए खदानों के आवंटन का फैसला किया।
