घरेलू वायदा बाजार में मक्के की कीमतों में आज शुरुआती कारोबार के दौरान तेजी बनी रही जिसका कारण इस अनाज के निर्यात से संबंधित पूछताछ में हुई वृध्दि थी।
उल्लेखनीय है कि भारतीय मक्का अमेरिका की तुलना में 25 प्रतिशत अधिक सस्ता है। बाजार से जुड़े लोगों ने बताया- इस आशंका से कि मक्के के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, मक्के का वायदा भाव कम होकर 950 रुपये प्रति क्विंटल पर आ गया लेकिन वैश्विक खरीदारों की बढ़ती मांगों के कारण आज इसकी कीमतों में मजबूती आई।
एनसीडीईएक्स पर दोपहर के 12.00 बजे सबसे अधिक सक्रिय जुलाई के सौदे की कीमत 2.67 प्रतिशत बढ़ कर 941 रुपये प्रति क्विंटल हो गई। अगस्त और सितंबर के सौदों का कारोबार 2.5 प्रतिशत अधिक 950 रुपये प्रति क्विंटल से अधिक पर किया जा रहा था। चालू महीने के पहले पखवाड़े में दोनों करारों की कीमत बढ़ कर 1,000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर पहुंच गई थी।
रेलिगेयर कमोडिटीज के अभय लकवा ने बताया, ‘घरेलू बाजार में अच्छे गुणवत्ता वाले मक्के की कमी और निर्यात की जबर्दस्त मांगों के कारण मूल्य में वृध्दि हो रही है।’ उन्होंने कहा कि फिलहाल, आंध्र प्रदेश और कर्नाटक से अपेक्षाकृत कम गुणवत्ता वाला मक्का बाजारों में आ रहा है। यही परिस्थिति बिहार में है जहां खराब मौसम से मक्का प्रभावित हुआ है।
आंध्र प्रदेश के निजामाबाद बाजार में मक्के का हाजिर भाव 933.55 रुपये प्रति क्विंटल रहा। बाजार विशेषज्ञों ने बताया कि पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और पश्चिम एशिया के खरीदार मक्के की खरीदारी भारत से कर रहे हैं क्योंकि अन्य प्रमुख बाजारों की तुलना में भारत में कीमतें कम हैं।
अक्टूबर 2007 से शुरु हुए विपणन वर्ष से अब तक भारत ने लगभग 25 लाख टन मक्के का निर्यात किया है। यह निर्यात खास तौर से पश्चिम एशियाई देशों को किया गया है। बाजार विशेषज्ञों का अनुमान है कि इस वर्ष कुल निर्यात 30 लाख टन के आंकड़े को छूएगा।