नैशनल कमोडिटी एंड डैरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में मक्के के वायदा भाव में सोमवार को 1.16 फीसदी की कमी दर्ज की गई।
जानकारों के अनुसार, मक्के में गिरावट सावन महीने में पोल्ट्री उत्पादों की मांग घटने से हुई है। गौरतलब है कि मक्के की सबसे ज्यादा खपत पोल्ट्री उद्योग में ही होती है।
अगस्त महीने के सबसे सक्रिय अनुबंध में सोमवार को 1.16 फीसदी की कमी हुई और यह 1,024 रुपये प्रति क्विंटल पर बंद हुआ। वहीं सितंबर और अक्टूबर महीने में डिलीवर होने वाले सौदे का वायदा भाव 1,000 रुपये से नीचे चला गया।
कार्वी कॉट्रेड की विशेषज्ञ ए. राजलक्ष्मी ने बताया कि मक्के की कीमतों में कमी की वजह सावन का महीना है। सावन में अधिकांश मांसाहारी भी अंडे और मांस के सेवन से परहेज करते हैं। उसने बताया कि पोल्ट्री उत्पादों की मांग गिरने का साफ असर मक्के की मांग पर देखा जा रहा है। मांग में कमी आने से इसकी कीमतें भी कम हो रही हैं। मक्के में गिरावट की एक और वजह इसके निर्यात पर 15 अक्टूबर तक लगे प्रतिबंध को और आगे बढ़ाए जाने की अफवाहें हैं। इन सभी घटनाओं का असर मक्के की कीमत में कमी के तौर पर देखा जा रहा है।
एक महत्वपूर्ण चीज कि लंबे समय के अनुबंध का वायदा भाव नजदीकी अनुबंध की तुलना में कम है। मक्के की आवक शुरू हो जाने के बाद सितंबर महीने से इसमें तेजी आने की उम्मीद है। विशेषज्ञों का मानना है कि कुल मिलाकर सारी स्थिति मंदी की ओर इशारा कर रही हैं। फिलहाल देश में मक्के का भंडार काफी अच्छी स्थिति में है।