टेक्सटाइल उद्योग की गाड़ी पटरी पर चढ़ती नजर आ रही है।
होजरी से लेकर गारमेंट्स तक की मांग में गत जनवरी-फरवरी के मुकाबले 8-10 फीसदी की तेजी दर्ज की गयी है। दूसरी तरफ धागे की कीमत में बढ़ोतरी से ठप पड़ी स्पिनिंग मिलों की मशीनें भी चलने लगी हैं।
हालांकि टेक्सटाइल उद्यमी इस तेजी के कायम रहने को लेकर संशय की स्थिति में है। टेक्सटाइल कारोबारियों के मुताबिक पिछले फरवरी माह के मुकाबले हर प्रकार के धागों की कीमत में 6-10 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। जिन धागों के दाम पहले 100 रुपये प्रति किलोग्राम थे वह बढ़कर 106-110 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच चुके हैं।
दि टेक्सटाइल एसोसिएशन के पदाधिकारी अशोक जुनेजा कहते हैं, ‘धागों में तेजी मांग निकलने का ही नतीजा है। मांग निकलने के कारण ही कपास की बढ़ी हुई कीमत के बावजूद मिलें चलने लगी हैं। गारमेंट्स एवं होजरी बाजार मजबूत होता दिख रहा है।’
सदर बाजार स्थित होजिरी कारोबारी संघ के पदाधिकारी प्रवीण आनंद कहते हैं, ‘चुनाव के कारण कह लीजिये या किसी और कारण से, होजरी की मांग में गत जनवरी-फरवरी के मुकाबले 8-10 फीसदी की मजबूती है लेकिन पिछले साल के मुकाबले काम अब भी 50 फीसदी तक कम है।’
वे यह भी कहते हैं कि बाजार के हालात तभी सुधरेंगे जब यह तेजी बरकरार रह जाए। सदर बाजार में होजरी के 350 से अधिक थोक कारोबारी हैं। और इनका मासिक कारोबार 700-800 करोड़ रुपये का है।
कनफेडरेशन ऑफ टेक्सटाइल इंडस्ट्री के महासचिव डी के नायर कहते हैं, ‘टेक्सटाइल में तेजी है लेकिन यह तेजी आगे भी रहेगी, यह अभी कहना मुश्किल है। दक्षिण भारत में बिजली की कमी के कारण उत्पादन कम हुआ है और इस वजह से भी यह तेजी हो सकती है।’
हालांकि वे स्वीकारते हैं कि गारमेंट्स की मांग में इजाफा हुआ है, लेकिन असली बाजार तो अमेरिका व यूरोप में है। टेक्सटाइल उद्योग से 340 लाख लोग जुड़े हुए हैं और विश्वव्यापी मंदी के कारण इस क्षेत्र से 10 लाख लोगों का रोजगार छीन चुका है।
नायर कहते हैं कि फिलहाल ऐसी तेजी नहीं है कि फिर से बाहर हुए लोगों को काम मिल जाएगा। अगले कुछ महीनों तक तेजी जारी रहने पर ही टेक्सटाइल उद्योग के बारे में कुछ भविष्यवाणी की जा सकती है। टेक्सटाइल निर्यात का भारत के कुल निर्यात में 35 फीसदी की हिस्सेदारी है।
