भारतीय समुद्री खाद्य उत्पादों के निर्यातकों को इन दिनों खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि यह खबर उनके लिए थोड़ी राहत प्रदान करने वाली है। दरअसल, रुपये की मजबूती से भारतीय सी-फूड निर्यातकों को अमेरिका के लिए निर्यात में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, लेकिन अमेरिका के वाणिज्य विभाग (डीओसी) की ओर से गर्म पानी वाली झींगा मछली पर एंटी डंपिंग डयूटी में कटौती किए जाने की घोषणा से सी-फू ड निर्यातकों को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
पिछले हफ्ते समुद्री उत्पादों के निर्यातकों को दो मोर्चों पर सफलता हाथ लगी, जब विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) ने लगातार बाँड की जरूरतों (कॉन्टिन्यूअस बाँड रिक्वायरमेंट) के मुद्दे पर भारतीय निर्यातकों के पक्ष में निर्णय सुनाया।
उधर, अमेरिका के वाणिज्य विभाग की ओर से एंटी डंपिंग डयूटी में कटौती कर 7.22 फीसदी से 1.09 फीसदी कर दी गई। उल्लेखनीय है कि यह कटौती दूसरे प्रशासकीय समीक्षा के बाद झींगा मछली के निर्यात पर की गई है। इसके साथ ही वाणिज्य विभाग की ओर से डेवी सी-फूड उत्पादों 0.70 फीसदी और फॉल्कन सी-फूड उत्पादों पर 1.69 फीसदी की कर की घोषणा की है।
गौरतलब है कि दूसरे प्रशासकीय समीक्षा पर काम एक साल पहले शुरू किया गया था और इसमें 313 भारतीय निर्यातकों को
सूचीबद्ध किया गया था। इसके साथ ही वाणिज्य विभाग की ओर से तैयार किए गए प्रश्नावली का जबाव कुल 71 कंपनियों ने भेजा था। हालांकि बहुत से निर्यातकों को इस समीक्षा से बाहर रखा गया, क्योंकि उन्होंने अमेरिका में निर्यात को बंद कर दिया था। उन्हें 10.17 फीसदी की दर से कर देना होगा। इसके अलावा, 127 निर्यातकों, जिन्होंने समीक्षा का जबाव नहीं भेजा, उन्हें अमेरिका में निर्यात करने पर 110.90 फीसदी का प्रतिकूल तथ्य उपलब्धता (एएफए) शुल्क लगेगा।
इसी बीच विश्व व्यापार संगठन ने भारत के हित में फैसला सुनाया कि अमेरिका में झींगा मछली के आयात के लिए 100 फीसदी लगातार बाँड की जरूरत होगी। इससे पहले इसी मुद्दे पर कोर्ट ने इक्वाडोर और थाईलैंड के पक्ष में फैसला सुनाया था।
गौरतलब है कि एंटी डंपिंग डयूटी और कस्टम बांड की जरूरत ने अमेरिका में निर्यात करने में लगे भारतीय निर्यातकों को खासा प्रभावित किया है। वर्ष 2007-08 में अप्रैल-दिसंबर के दौरान भारतीय समुद्री उत्पादों के निर्यात में खासी गिरावट दर्ज की गई और 93,956 टन तक पहुंच गया।
