चालू खरीफ सत्र में भारत में खाद्यान्न उत्पादन 15.05 करोड़ टन के स्तर पर पहुंच सकता है। मगर चिंता की बात यह है कि देश में तिलहन का उत्पादन 2.33 करोड़ टन तक सीमित रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष की तुलना में 2.66 प्रतिशत कम होगा। तिलहन फसलों में मूंगफली का उत्पादन 82.5 लाख टन रहने का अनुमान है। पिछले वर्ष के मुकाबले यह आकड़ा 3.50 प्रतिशत कम होगा। इसी तरह, सोयाबीन का उत्पादन भी पिछले वर्ष की तुलना में 1.08 प्रतिशत कम रह सकता है। चालू खरीफ सत्र में सोयाबीन उत्पादन 1.27 करोड़ टन रहने का अनुमान है। ये उत्पादन आंकड़े फसल वर्ष 2021-22 (जुलाई-जून) के पहले अग्रिम अनुमान पर आधारित हैं। ये अनुमान मंगलवार को जारी हुए।
पिछले कुछ महीनों में खाद्य तेल एवं दलहन की कीमतों में बेतहाशा इजाफा हुआ है। कम आपूर्ति और वैश्विक स्तर पर इनकी कीमतों में तेजी इसकी वजह मानी जा रही है। इस वजह से लोगों का बजट बुरी तरह प्रभावित हुआ है और अब खरीफ फसलें कटने के बाद ही कुछ राहत मिल सकती है।
देश में फसलों का उत्पादन कम रहा तो आयात पर निर्भरता बढ़ जाएगी जिससे कीमतें और उछल सकती हैं। भारत खाद्य तेल और दलहन की मांग का 40 प्रतिशत हिस्सा ही पूरा कर पाता है। हालांकि दलहन खंड में स्थिति थोड़ी ठीक लग रही है क्योंकि खरीफ सत्र में इनका उत्पादन 94.5 लाख टन रहने का अनुमान है। यह आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में 8.74 प्रतिशत अधिक रह सकता है।
अरहर दाल का उत्पादन 44.3 लाख टन रहने का अनुमान है जो पिछले वर्ष से 3.50 प्रतिशत अधिक रह सकता है। मगर विशेषज्ञों का कहना है कि दलहन एवं तिलहन उत्पादन के शुरुआती अनुमानों को गंभीरता से नहीं लिया जाना चाहिए क्योंकि बाद में वास्तविक उत्पादन कम रह सकता है। वर्ष 2020-21 में दलहन उत्पादन पहले और चौथे अग्रिम अनुमानों के दौरान 6.65 प्रतिशत तक कम हो गया था।
केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘तिलहन के बारे में कहा गया था कि पिछले वर्ष की तुलना में उत्पादन कम रहेगा क्योंकि इसका रकबा इस बार अधिक नहीं है। मगर अच्छी खबर यह है कि दलहन का उत्पादन बेहतर रहने का अनुमान है। जहां तक महंगाई की बात है तो खाद्य तेल की कीमतें आंशिक रूप से कम हो सकती हैं क्योंकि वैश्विक स्तर पर इनके भाव नरम हुए हैं। हालांकि अक्टूबर के बाद कीमतें फिर बढ़ सकती हैं।’ उन्होंने कहा कि अगर दलहन का उत्पादन अच्छा रहा तो कीमतें थोड़ी गिर सकती हैं।
दूसरी फसलों की बात करें तो पहले अग्रिम अनुमान के अनुसार मोटे अनाज का उत्पादन 2021-22 में 3.4 करोड़ टन रह सकता है। 2020-21 में इनका उत्पान 3.64 करोड़ टन रहा था। कपास का उत्पादन 3.62 करोड़ गांठ (प्रत्येक गांठ 170 किलोग्राम का) रह सकता है जो पिछले वर्ष 3.53 करोड़ गांठ रहा था।
