बिहार में आई विनाशकारी बाढ़ की वजह से 1.25 हेक्टेयर में फैली 150 करोड़ रुपये की फसल बर्बाद हुई है। राज्य कृषि विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह आंकड़ा आने वाले दिनों में और बढ़ सकता है।
उन्होंने कहा कि धान और मक्का की फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई है। इसके अलावा दलहन, केला और सब्जियों की बागवानी भी बर्बाद हुए हैं। बर्बादी का आकलन फसल के क्षेत्रफल और बाढ़ प्रभावित क्षेत्र में औसत उपज के आधार पर किया जा रहा है।
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर बाढ़ के बाद खेतों में नमकीन रेत रह जाती है, तो इससे रबी फसल भी प्रभावित हो सकती है। उल्लेखनीय है कि राज्य की मुख्य खरीफ फसलों में चावल और मक्का है जिसकी बुआई जून-जुलाई में शुरू हो जाती है। मगर इस साल सुपौल, सहरसा, अररिया और मधेपुरा में आई बाढ़ से ये फसलें पूरी तरह बर्बाद हो गई हैं।
विश्लेषक मानते हैं कि बिहार के दूसरे इलाके में इसके रकबे को बढ़ाकर इस नुकसान को कमोबेश कम किया जा सकता है। पिछले साल देश में 8 करोड़ 30 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ था, जो उससे पिछले साल के 8 करोड़ टन से थोडा ज्यादा था।
मोटे तौर पर भारत में इस साल जून तक 9 करोड़ 30 लाख टन चावल का उत्पादन हुआ है। मगर इस साल बाढ़ की वजह से खरीफ की बुआई में 2 से 3 प्रतिशत की कमी देखी जा सकती है। देश में मक्के का उत्पादन 67 लाख हेक्टेयर में होने का अनुमान है।