बिजली क्षेत्र के कोयला संकट से बाहर निकलने के बावजूद निजी उपभोग वाले बिजली संयंत्र (सीपीपी) पर आधारित एल्युमीनियम, इस्पात, जस्ता और सीमेंट जैसे गैर-बिजली वाले उद्योगों को अब भी अपनी कोयले की जरूरतों का 50 प्रतिशत से भी कम कोयला प्राप्त हो रहा है। इंडियन कैप्टिव पावर प्रोड्यूसर्स एसोसिएशन (आईसीपीपीए) ने पिछले सप्ताह सोमवार को कहा कि इन उद्योगों के पास सुरक्षित लिंकेज और कोल इंडिया (सीआईएल) की नीलामी के बावजूद ऐसा हो रहा है।
निजी उपभोग वाले बिजली उत्पादकों के इस शीर्ष संगठन ने इस संबंध में कोयला, रेलवे और बिजली मंत्रालयों को सूचित किया है। इसने सीपीपी-आधारित गैर-बिजली वाले उद्योगों को कोयले की आपूर्ति सामान्य करने के लिए तत्काल सहायता की मांग की है।
कोयला किल्लत के अलावा कोयला रैक की उपलब्धता भी उद्योगों के लिए एक ऐसी अन्य बाधा बनी हुए है, जिससे उन्हें जूझना पड़ रहा है। आईसीपीपीए ने कहा कि इन उद्योगों को रैक की आपूर्ति उनकी जरूरत के मुकाबले 40 से 50 प्रतिशत ही है।
गैर-बिजली वाले उद्योगों के लिए कोयले की कमी का मसला जुलाई के अंत से चल रहा है। दूसरी ओर सभी मंत्रालयों के समन्वित प्रयासों से सरकार के बिजली क्षेत्र की स्थिति में सुधार हुआ है और कोयले का स्टॉक बढ़कर 10 दिनों तक का हो गया है। सितंबर से अक्टूबर तक यह स्टॉक दो से तीन दिनों का था।
इस संकट के बाद से पांचवें महीने में सीपीपी उद्योग के उपभोक्ताओं को अब भी कुल कोयला आपूर्ति केवल 40 से 50 प्रतिशत स्तर पर हो रही है। आईसीपीपीए ने कहा कि इससे उन्हें निरंतर परिचालन के लिए कोयले की निर्बाध आपूर्ति प्राप्त करने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। इसका कहना है कि कई बड़े सीपीपी उपभोक्ता सीआईएल की खदानों के पास स्थित हैं और लॉजिस्टिक्स अवरोधों के कारण कोयले का आयात नहीं कर सकते हैं।
नवंबर से मार्च तक का समय कोल इंडिया के लिए उत्पादन की शीर्ष अवधिक होती है। आईसीपीपीए ने कहा कि मौजूदा महीने मंत्रालयों के लिए हस्तक्षेप करने और इस मसले पर ध्यान देने के लिए सही वक्त है। अलबत्ता कोयले की कमी की मौजूदा स्थिति हर तीन से चार साल में बार-बार उत्पन्न होने वाली स्थिति है। इसने कहा कि अब तक वर्ष 2014, 2017, 2021 और हाल के कुछ वर्षों में गैर-बिजली वाले उद्योगों के लिए आपूर्ति की बड़ी दिक्कत रही है। आईसीपीपीए ने कहा कि यह घटना कुछ लोगों के प्रबंधकीय कार्यों (और उनसे उत्पन्न) का परिणाम है। इससे स्वतंत्र रूप से कारोबार करने और आजीविका कमाने के लिए दूसरों के मौलिक अधिकार कम होते हैं या उनका हनन होता है। वैश्विक कमी के कारण हाल ही में कीमतों में वृद्धि से ऊर्जा-प्रधान एल्युमीनियम उद्योग का परिचालन सवार्धिक गंभीर रूप से प्रभावित हुआ है। उद्योग को प्रभावित करने वाले इस कोयला संकट से, इस किल्लत की वजह से दरों में और वृद्धि होगी।
हिंडाल्को इंडस्ट्रीज के प्रबंध निदेशक सतीश पई ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया ‘स्वतंत्र रूप से कार्य करने वाले बिजली संयंत्रों के साथ समस्या यह है कि वे कोयले का भंडारण करना पसंद नहीं करते हैं, क्योंकि यह उनके लिए कार्यशील पूंजी का बड़ा अवरोध होता है। वे जानते हैं कि संकट की स्थिति में सरकार गैर-बिजली वाले उद्योगों को छोड़ कर उन्हें आपूर्ति करेगी।’ एल्युमीनियम संयंत्रों में किसी भी तरह से बिजली आपूर्ति ठप होने से हानिकारक प्रभाव पड़ेगा और ये पूरी तरह से बंद हो जाएंगे। आईसीपीपीए ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इसे उबरने में कम से कम 12 महीने लगेंगे, जिसके परिणामस्वरूप आठ लाख से अधिक लोगों की नौकरी चली जाएगी।
