आतंकवाद के मसले पर भले ही भारत और पाकिस्तान के बीच तनातनी चल रही हो, लेकिन भारत से पाकिस्तान को होने वाले आलू निर्यात पर कोई असर नहीं पड़ा है।
जालंधर के एक आलू निर्यातक ने बताया कि इस समय रोजाना 15-15 टन के 90 ट्रक वाघा सीमा के पार जा रहे हैं। जबकि 2007-08 में तो आलू के महज 10-20 ट्रक ही निर्यात होते थे।
नवंबर मध्य में आलू का निर्यात तेजी से बढ़ा, जबकि इससे पहले 10 से भी कम ट्रक आलू निर्यात होता था। जंगबहादुर सांघा नामक निर्यातक ने बताया कि इस सीजन में देश में आलू की बंपर पैदावार हुई है और कीमतें लुढ़क कर 1-2 रुपये प्रति किलोग्राम तक आ गई हैं।
फिलहाल पाकिस्तान में आलू की कीमत 6 रुपये प्रति किलो है। ऐसे में पाकिस्तान को निर्यात में बढ़ोतरी हो गई है। उन्होंने कहा कि यह स्थिति अस्थाई है जो अगले 3-4 महीनों तक रहेगी। इसके बाद उत्पादन और मांग पर आलू की कीमत निर्भर करेगी।
2007-08 में आलू उत्पादन जहां 2.95 करोड़ टन था, वहीं वह एक साल पहले यानी 2006-07 में महज 2.4-2.5 करोड़ टन रहा था। मालूम हो कि दुनिया के 150 देशों में आलू उपजाया जाता है जबकि पूरी दुनिया में इसका कुल उत्पादन 30 करोड़ टन के आसपास है।
आलू के एक और निर्यातक सुखजीत सिंह भट्टी के मुताबिक, पाकिस्तान को आलू निर्यात ने मई 2008 से जोर पकड़ा है। क्योंकि पाकिस्तान में आलू की फसल पिछले साल बुरी तरह प्रभावित हुई प्रभावित हुई थी। उसने बताया कि चूंकि पाकिस्तान में आलू की फसल अब तक बाजार में नहीं आई है, इसलिए पाकिस्तान को आलू का निर्यात जारी है।
मालूम हो कि पाकिस्तान में हॉलैंड किस्म का आलू उगाया जाता है, जिसे तैयार होने में 120 से 130 दिन लगता है। वहीं भारत में महज 70 से 80 दिनों में ही आलू तैयार हो जाता है।
इस बीच मीडिया की खबरों के मुताबिक, पाकिस्तान में आलू उत्पादक समूह ने सरकार से मांग की है कि भारत से आलू की आपूति तत्काल प्रतिबंधित की जाए।
उत्पादकों का कहना है कि उनके देश में तैयार आलू देश के जरूरतें पूरी करने के लिए पर्याप्त हैं। उनके मुताबिक, वाघा बॉर्डर के जरिए तकरीबन 2 हजार टन आलू पाकिस्तान में जा चुका है।
यह भी बताया गया है कि पाकिस्तान में आलू की नई फसल आने के बावजूद निर्यात अब भी जारी है, लेकिन भारतीय आलू सस्ता होने के चलते वहां लोगों के बीच यहां के आलू की खूब मांग है।