कृषि व प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण देश की सब्जियों व फलों के निर्यात को प्रोत्साहित करने के लिए बैगन से लेकर आलू तक की पैकेजिंग की तैयारी कर रहा है।
प्राधिकरण का कहना है कि देश की सब्जियों की पैकेजिंग की कोई प्रणाली नहीं है लिहाजा इसके निर्यात में बहुत अधिक बढ़ोतरी नहीं हो पा रही है। भारत फलों के उत्पादन के मामले में सबसे बड़ा देश है तो सब्जियों के उत्पादन के लिहाज से भारत का विश्व में दूसरा स्थान है।
जानकारी के मुताबिक अब निर्यात के लिए आलू-बैगन के साथ हरी मिर्च की पैकेजिंग भी की जाएगी। किन सब्जियों की पैकेजिंग किस मात्रा में की जाएगी, इसकी तैयारी भी कर ली गयी है। छोटे बैगन की प ैकेजिंग 250 से 500 ग्राम की मात्रा में होगी तो कड़ी पत्ता की पैकेजिंग 30 ग्राम की होगी। आलू की पैकेजिंग 1 किलो से लेकर 5 किलो तक की जाएगी तो चेरी टमाटर की पैकेजिंग मात्र 250 ग्राम में होगी।
अरबी को 250 ग्राम से लेकर 500 ग्राम तक में पैक किया जाएगा। फलों के मामले में यह मात्रा अधिक रखी गयी है। संतरे की पैकेजिंग एक किलोग्राम तक में होगी तो लीची की पैकेजिंग 2 किलोग्राम से 4 किलोग्राम तक में की जाएगी। सूत्रो का कहना है कि इनदिनों पैकेजिंग का जमाना है। और अच्छी पैकेजिंग का उपभोक्ताओं पर खासा असर पड़ता है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में 46 मिलियन टन फल का उत्पादन होता है।
विश्व भर में फलों के कुल उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी 10 फीसदी है। सब्जियों के मामले में घरेलू उत्पादन 80 मिलियन टन है जो कि विश्व बाजार का 15 फीसदी है। सूत्रों के मुताबिक आधुनिक सुविधाओं के अभाव में घरेलू बाजार 20 से 30 फीसदी सब्जियां बर्बाद हो जाती है। सूत्रों के मुताबिक पैकेजिंग प्रणाली का विकास सिर्फ इन सब्जियों की सुरक्षा के लिए ही नहीं की गयी है बल्कि निर्यात के दौरान सुरक्षित तरीके से इन्हें पहुंचाने के उद्देश्य भी किया गया है।