ईंधन की कीमतों में हालिया तेजी के कारण करीब 50,000 ट्रक मालिकों (अधिकांश एक ट्रक के मालिक) को अपने वाहन खड़े करने पड़ सकते हैं। बीएलआर लॉजिस्टिक्स (आई) लि. के प्रबंध निदेशक अशोक गोयल ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘सड़कों पर पहले से ही जरूरत से ज्यादा वाहनों की आपूर्ति है। डीजल के दाम में हालिया तेजी के बीच ट्रांसपोर्टर अपने बेड़े के आकार को कम करने की संभावना तलाश सकते हैं। इससे छोटे ट्रक मालिकों को चपत लग सकती है।’
कंपनी के पास छोटे-बड़े सभी तरह के करीब 500 वाहन हैं और वह देश भर में परिचालन करती है। देश भर में तकरीबन आठ लाख वाणिज्यिक वाहन सड़कों पर चल रहे हैं।
एक-दो ट्रकों के मालिक आमतौर पर ट्रांसपोर्टरों को अपने वाहन ठेके पर चलाने के लिए दे देते हैं क्योंकि उनके पास बेहतर नेटवर्क होता है। गोयल ने कहा, ‘हमारी कुल लागत का करीब 50 फीसदी हिस्सा ईंधन पर खर्च होता है। ऐसे में ईंधन के महंगा होने से लागत काफी बढ़ गई है। हमारे पास ईंधन आपूर्ति का अनुंबध है लेकिन मौजूदा हालात में हम बढ़ोतरी का करीब 80 फीसदी भार ग्राहकों पर डालने में सक्षम नहीं हैं। इसकी वजह से हमारा मार्जिन लगभग खत्म हो गया है और आगे मुश्किलें और बढ़ सकती है।’
हालांकि कुछ छोटे ट्रक ऑपरेटर इस बढ़ोतरी का लाभ भी उठा रहे हैं।
हिंदुस्तान यूनिलीवर, एमेजॉन, फ्लिपकार्ट जैसे ग्राहकों के लिए मालवहन करने वाली ट्रक एग्रीगेटर मैविन के संस्थापक और मुख्य कार्याधिकारी सचिन जेकेएस हरिताश ने कहा, ‘हाजिर कीमतों को अपनाने वाले छोटे ट्रांसपोर्टर ईंधन कीमतों में तेजी के हिसाब से मालभाड़ा बढ़ा रहे हैं।’ इस प्लेटफॉर्म पर 8,000 से अधिक ट्रंक पंजीकृत हैं और इनमें से 80 फीसदी 20 या उससे कम ट्रक रखने वाले मालिकों की है।
हरिताश ने कहा, ‘इन ऑपरेटरों ईंधन के दाम में वास्तविक वृद्घि से कहीं ज्यादा मालभाड़ा बढ़ा दिया है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर इस महीने ईंधन के दाम 4 फीसदी और बढ़ते हैं तो छोटे ट्रांसपोर्टरों के दाम 6 फीसदी तक बढ़ जाएंगे। ऐसे ट्रांसपोर्टर मांग बढऩे और ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी का फायदा उठा रहे हैं।’
इस बीच तापमान नियंत्रक ट्रक ट्रांसपोर्टेशन उद्योग ईंधन कीमतों की बढ़ी लागत का भार ग्राहकों पर डालने की तैयारी कर रहा है।
कूल-एक्स कोल्ड चेन के प्रबंध निदेशक राहुल अग्रवाल ने कहा, ‘तापमान नियंत्रक उद्योग में मांग आपूर्ति से कहीं ज्यादा है। ऐसे में मालभाड़ा बढ़ाने से कारोबार प्रभावित नहीं होगा। हम अपने ग्राहकों के साथ बातचीत कर रहे हैं और मार्च से मालभाड़ा बढ़ सकता है।’
उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि वित्त वर्ष 2021 में अब तक ईंधन के दाम प्रति लीटर करीब 30 फीसदी बढ़े हैं। ट्रंासपोर्ट कंपनियों के अधिकारियों का कहना है कि ईंधन कीमतों में बढ़ोतरी के सरकार के दम परिवहन लागत कम करने के लक्ष्य के एकदम उलट है। रॉबिन्संस ग्लोबल लॉजिस्टिक्स सॉल्यूशंस (आरजीएल) के मुख्य कार्याधिकारी आदित्य वजीरानी ने कहा, ‘परिचालन लागत पहले से ही ज्यादा है, ऐसे में ईंधन के दाम बढऩे से लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन कंपनियों की चिंता बढ़ गई है और मार्जिन सिकुड़ रहा है। सरकार ने परिवहन लागत 13-15 से घटाकर 8 फीसदी करने का लक्ष्य रखा है लेकिन मौजूदा हालात इसके उलट हैं। अगर ईंधन के दाम में इसी तरह बढ़ते रहे तो वस्तुओं की आपूर्ति की लागत भी बढ़ जाएगी, जिसका मुद्रास्फीति पर भी असर पड़ेगा।’ नई दिल्ली के इंडियन फाउंडेशन ऑफ ट्रांसपोर्ट रिसर्च ऐंड ट्रेनिंग के वरिष्ठ अधिकारी एसपी सिंह ने कहा कि फरवरी में मालभाड़ा जनवरी की तुलना में 13 से 14 फीसदी बढ़ गया है। उन्होंने कहा, ‘आम तौर पर अंतिम तिमाही में कीमतें बढ़ती हैं क्योंकि सभी क्षेत्र के विनिर्माताओं का जोर वित्त वर्ष खत्म होने से पहले अपनी इन्वेंट्री खाली करने की होती है।’
आरजीएल के वजीरानी ने कहा, ‘ईंधन के दाम बढऩे से लॉजिस्टिक्स क्षेत्र पर सबसे ज्यादा असर पड़ा है।’
