भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। स्टील और सीमेंट क्षेत्र के बाद अब पेट्रोलियम उत्पादों के मामले में भी कुछ इसी तरह के संकेत मिल रहे हैं।
जनवरी और फरवरी मे 3.4 और 2.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी के बाद अब मार्च में पेट्रोलियम उत्पादों की खपत में 6.9 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। उम्मीद की जा रही है कि पेट्रोल और डीजल के मामले में यह बढ़ोतरी दो अंकों की विकास दर होने की ओर अग्रसर है। इन दो उत्पादों का पेट्रोलियम उत्पादों के खपत में कुल योगदान आधे से ज्यादा है।
इंडियन ऑयल कार्पोरेशन (आईओसी) के निदेशक (विपणन) जीसी डागा ने कहा, ‘संसदीय चुनावों को देखते हुए अप्रैल और मई के दौरान पेट्रोलियम की खपत में और सुधार हो सकता है।’ इसके साथ ही रबी की फसलें, जैसे गेहूं, दाल और तिलहन की फसलें आने और कारोबारी गतिविधियां बढ़ने के चलते भी इस दौरान मांग बढ़ने की उम्मीद की जा रही है।
वित्त वर्ष 2008-09 में खपत में बढ़ोतरी 5 प्रतिशत रही, जो पिछले 3 साल में सबसे कम है। 2007-08 में विकास दर 6.8 प्रतिशत थी। मार्च के दौरान खपत में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी पेट्रोल में हुई, जिसमें 13.3 प्रतिशत की बढ़त दर्ज की गई। डीजल की खपत भी प्रभावी रूप से 11.5 प्रतिशत बढ़ी।
पेट्रोल और डीजल की वार्षिक वृध्दि दर क्रमश: 9.1 और 9.4 प्रतिशत रही। बिजली के उत्पादन में काम आने वाले नेफ्था की खपत भी बढ़ने के आसार हैं, क्योंकि सरकार ने शुल्क मुक्त आयात की अनुमति दे दी है। विमानों में प्रयोग किए जाने वाले ईंधन (एटीएफ) की खपत में मार्च के दौरान 8.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है।
