डाई अमोनिया फॉस्फेट (डीएपी) की कमी की वजह से इसके अगले बेहतरीन विकल्प नाइट्रोजन, फॉस्फोरस और पोटैशियम (एनपीके) व अन्य मिश्रित उर्ववकों की कीमतें बढ़ गई हैं। किसानों ने रबी की बुआई के मौसम के लिए खाद खरीदकर रखना शुरू कर दिया है, जिसकी वजह से तेजी आई है।
किसान नेताओं का कहना है कि मध्य प्रदेश में एनपीके या अन्य मिश्रित उर्वरक की 50 किलो की बोरी का बिक्री मूल्य पिछले साल की तुलना में 25 से 50 प्रतिशत तक ज्यादा है।
हाल के अपने एक रिसर्च नोट में रेटिंग एजेंसी इक्रा ने लिखा है, ‘ फॉस्फोरिक एसिड और अमोनिया की इनपुट लागत बढऩे की वजह से फास्फेटिक विनिर्माताओं ने प्राथमिक उर्वरक की जगह एनपीके श्रेणी के उर्वरक का उत्पादन शुरू कर दिया है।’
डीएपी और एनपीके का इस्तेमाल एक दूसरे की जगह किया जा सकता है। यह फसल पर निर्भर होता है। इसका इस्तेमाल बुआई की शुरुआत में होता है, जो इस मामले में रबी सीजन है।
वाणिज्य एवं उद्योग जगत के सूत्रों ने कहा कि जब तक केंद्र सरकार एक बार फिर सभी पोषकों पर सब्सिडी मुहैया नहीं कराती, सिर्फ फॉस्फेटिक ही नहीं, अन्य उर्वरकों की कीमतों को मौजूदा दाम पर रोके रख पाना कठिन होगा।
इक्रा ने कहा, ‘अमोनिया और पोटाश की कीमत मई, 2021 के बाद उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है। इसकी वजह से नाइट्रोजन और पोटैशियम के लिए सब्सिडी में बढ़ोतरी करना जरूरी हो गया है।’ मार्च और सितंबर के बीच अमोनिया जैसे कच्चे माल की कीमत 65 प्रतिशत से ज्यादा बढ़कर 654 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है, जो 397 रुपये प्रति टन थी।इसी तरह फास्फोरिक एसिड की कीमत 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ी है और यह 755 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 1,160 डॉलर हो गई है। इनपुट लागत बढऩे के दबाव के कारण स्वाभाविक रूप से उवर्रकों की लागत बढ़ी है।
एक और कॉम्प्लेक्स उर्वरक म्यूरिएट आफ फॉस्फेट (एमओपी) की कीमत करीब 25 प्रतिशत बढ़ी है और मार्च और सितंबर 2021 के बीच इसकी कीमत 224 डॉलर प्रति टन से बढ़कर 280 डॉलर प्रति टन पर पहुंच गई है। मई, 2021 में केंद्र सरकार ने डीएपी पर सब्सिडी 140 प्रतिशत बढ़ाकर 500 रुपये प्रति बोरी (50 किलो) से 1,200 रुपये प्रति बोरी कर दिया था।
बहरहाल वाणिज्य एवं उद्योग के सूत्रों ने कहा कि यह अपर्याप्त है, क्योंकि उसके बाद अंतरराष्ट्रीय कीमतों में और बढ़ोतरी हुई है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘कीमत में बढ़ोतरी का असर कम करने के लिए हमें 400 से 500 रुपये बोरी दाम और बढ़ाने की जरूरत है, वर्ना आयात कम रहेगा और आपूर्ति को लेकर दिक्कत बनी रहेगी।’
उन्होंने कहा कि 2021 में सब्सिडी समर्थन मुख्य रूप से फॉस्फेट के लिए दिया गया था, लेकिन इस बार नाइट्रोजन और पोटैशियम के लिए सब्सिडी की जरूरत है। मीडिया में आई खबरों में के मुताबिक केंद्र सरकार उर्वरकों पर 25,000 करोड़ सब्सिडी समर्थन देने पर विचार कर रही है। बहरहाल कारोबारी सूत्रों ने कहा कि इसमें सभी पोषक शामिल होंगे, न कि फॉस्फोरस, जैसा मई, 2021 में किया गया था।
किसान स्वराज संगठन के महासचिव भगवान मीणा ने बिजनेस स्टैंडर्ड से कहा- अभी सिर्फ एनपीके की दरें बढ़ी हैं, लेकिन यह डर है कि अगर आपूर्ति कम बनी रहती है तो डीएपी की कीमत भी बढ़ सकती है। उन्होंने कहा कि इससे अन्य कई फसलों के साथ आलू और चना की उत्पादन लागत बढ़ सकती है।
इलेक्ट्रॉनिक फर्टिलाइजर मॉनिटरिंग सिस्टम के आंकड़ों के मुताबिक सितंबर, 2021 तक डीएपी का स्टॉक 15 लाख टन है। यह स्टॉक पिछले साल के 36 लाख टन की तुलना में 21 लाख टन कम है।
