अंतरराष्ट्रीय बाजार में जिंसों की कीमतों में गिरावट के बीच भारत में स्टील की कीमत में बढ़ोतरी के संकेत मिलने लगे हैं।
घरेलू बाजार में अर्धनिर्मित और लॉन्ग प्रॉडक्ट यानी सरिया आदि की कीमतें 1000 से 2000 रुपये प्रति टन तक बढ़ गई हैं। कीमतों में बढ़ोतरी मुख्य रूप से टीएमटी बार, बिलेट्स और पेंसिल इनगॉट्स में हुई है। ये उत्पाद मुख्य रूप से छोटे प्लांट में तैयार होते हैं।
फ्लैट उत्पाद के उलट छोटे निर्माता लॉन्ग प्रॉडक्ट में करीब 55 फीसदी भागीदारी करते हैं और इन्होंने ही कीमतों में बढ़ोतरी की है। जबकि बड़ी कंपनियां अभी देखो और इंतजार करो की रणनीति का पालन कर रही हैं।
कोलकाता स्थित एसपीएस ग्रुप के चेयरमैन विपिन वोहरा ने कहा कि टीएमटी बार की कीमत 2000 रुपये प्रति टन बढ़कर 37200 रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है जबकि बिलेट की कीमत भी 29 हजार रुपये प्रति टन पर पहुंच गई है और इसमें भी 2000 रुपये प्रति टन का इजाफा हुआ है। यह ग्रुप कुल 5 लाख टन टीएमटी बार का उत्पादन करता है।
वोहरा ने कहा कि कीमतें इसलिए बढ़ीं क्योंकि यह निचले स्तर पर पहुंच चुकी थी और इसके साथ ही घरेलू बाजार में निर्माण की गतिविधियां एक बार फिर चालू होने लगी हैं। उन्होंने कहा कि घरेलू बाजार में मांग चाहे जो हो, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कीमतें काफी कम हैं।
इस उत्पाद के मुख्य उत्पादक भी अब कीमत बढ़ाने की स्थिति में आ गए हैं। सरकारी कंपनी राष्ट्रीय इस्पात निगम ने नवंबर में कीमत में 8500 रुपये प्रति टन की कटौती की थी। इस कंपनी के पास फिलहाल 6.8 लाख टन का स्टॉक है जबकि सामान्य स्थिति में यह आंकड़ा 2.5 लाख टन का होता है।
राष्ट्रीय इस्पात निगम के निदेशक (वाणिज्य) सी. जी. पटेल ने कहा कि छोटी कंपनियों ने उत्पाद की कीमतें बढाई हैं। पिछले तीन दिन में पेंसिल इनगॉट्स की कीमत थोक बाजार में 1500 रुपये प्रति टन तक बढ़ी है। उन्होंने कहा कि ये सकारात्मक संकेत हैं क्योंकि अगर इन कंपनियों ने कीमतों में बढ़ोतरी जारी रखी तो हमारे लिए भी कीमत बढाना आसान हो जाएगा।
लेकिन फ्लैट प्रॉडक्ट की कीमत में बढ़ोतरी अगले वित्त वर्ष की पहली तिमाही में ही मुमकिन लग रही। जेएसडब्ल्यू स्टील के निदेशक (वित्त) एस. राव ने कहा कि कुछ अच्छे संकेत मिलने लगे हैं। स्क्रैप की कीमत अब 225 डॉलर प्रति टन पर आ गई है जो एक सप्ताह पहले 185 डॉलर पर आ गई थी।
फ्लैट प्रॉडक्ट की कीमत में रिकवरी अगले दो तिमाही में ही हो पाएगी। इस कंपनी ने नवंबर में उत्पादन में 20 फीसदी की कटौती की थी। उधर, विशेषज्ञों का कहना है कि अप्रैल में स्टील की किल्लत हो सकती है क्योंकि कई कंपनियों ने उत्पादन में खासी कटौती की है।