बजट के पहले ज्ञापन में निर्यातकों ने सरकार से कंटेनर विनिर्माण के लिए उत्पादन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) जैसी योजना, एक और साल के लिए आपातकालीन कर्ज से जुड़ी गारंटी योजना (ईसीएलजीएस) और राज्य व केंद्र के कर व लेवी की छूट (आरओएससीटीएल) के नकद रिफंड की मांग की है।
फेडरेशन आफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) के मुताबिक कंटेनर विनिर्माण के लिए पीएलआई के तरह की योजना से कंटेनरों के घरेलू विनिर्माण को प्रोत्साहन मिल सकता है। उनका कहना है कि सभी सेक्टरों में ऑर्डर बुकिंग की स्थिति बेहतर बनी हुई है, लेकिन निर्यातकों को कंटेनरों की कमी, माल ढुलाई की दरों में तेज बढ़ोतरी जहाजों में जगह की कमी जैसी समस्याओं से जूझना पड़ रहा है।
इस तरह की योजना से निर्यातकों को खासकर ऐसे समय में लाभ हो सकता है, जब सरकार ने 2027-28 तक वस्तुओं का निर्यात बढ़ाकर 1 लाख करोड़ डॉलर करने का लक्ष्य रखा है।
फियो ने एक बयान में कहा, ‘हमें एक वैश्विक प्रतिष्ठा वाली इंडियन शिपिंग लाइन विकसित करने की जरूरत है। हम इस साल माल ढुलाई में 75 अरब डॉलर से ज्यादा भुगतान कर सकते हैं। भारत की शिपिंग की इस कारोबार में 25 प्रतिशत हिस्सेदारी है और इससे हर साल 17 से 20 अरब डॉलर की बचत हो सकती है। अगर हम ट्रिलियन डॉलर वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात करेंगे तो यह आंकड़ा बढ़ सकता है। इस तरह की जहाजों को बढ़ावा देने के लिए कुछ कर प्रोत्साहन देने की जरूरत हो सकती है।’
परिधान निर्यातकों ने सरकार से अनुरोध किया है कि आरओएससीटीएल के तहत ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप्स के माध्यम से रिफंड देने की जगह पूरी तरह से नकद रिफंड दिया जाना चाहिए। अपैरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (एईपीसी) के नए चेयरमैन नरेंद्र गोयनका ने बिजनेस स्टैंडर्ड को यह जानकारी दी।
आरओएससीटीएल योजना के तहत गार्मेंट एक्सपोर्टर अपने द्वारा किए गए सभी करों व शुल्कों के भुगतान पर छूट का दावा कर सकते हैं। निर्यातकों को ड्यूटी क्रेडिट स्क्रिप जारी किया जाता है, जो इंबेडेड टैक्स व लेवी के मूल्य के बराबर होता है। उपकरणों, मशीनरी के आयात के समय निर्यातक इस स्क्रिप का इस्तेमाल कर सकते हैं। निर्यातक इस समय योजना का पूरा लाभ नहीं ले पा रहे हैं।
गोयनका ने कहा कि कुछ स्क्रिप्स का मूल्य बहुत गिर गया है और हम इसे बेच देते हैं तो हमें अपने कर का 80 प्रतिशत रिफंड ही मिल पाता है। पिछले साल तक हमें 99 प्रतिशत तक रिफंड मिल जाता है।
