चाय का ज्यादा उत्पादन करने वाले देशों, भारत, श्रीलंका और केन्या में उत्पादन में कमी आई है और इससे 4 करोड़ किलोग्राम चाय की कमी आई है।
इसकी वजह से चाय की कीमतों में रिकॉर्ड स्तर की बढ़ोतरी हुई है। इन तीनों देशों से दुनिया की 80 फीसदी काली चाय का उत्पादन होता है। मंदी के दौर में गिरावट जारी है, पर चाय कंपनियों के शेयरों में बढ़ोतरी हो रही है।
मैकलियोड रसेल इंडिया का शेयर 67.15 रुपये पर बंद हुए और पिछले 15 दिनों में 41.37 फीसदी तक की बढ़ोतरी हुई। मैकलियोड दुनिया का सबसे बड़ा चाय उत्पादर्नकत्ता है। टाटा टी के शेयर में भी 9.42 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ यह करीब 531 रुपये हो गया।
श्रीलंका में सीजन के शुरुआत के पहले दो महीने में उत्पादन में 30 फीसदी गिरावट का अनुमान है। लेकिन उम्मीद की जा रही है कि सीजन के खत्म होने तक कुछ रिकवरी होने की उम्मीद है। देश के उत्पादन में 6 फीसदी के नुकसान की संभावना है। पिछले साल मुल्क में 32 करोड़ किलोग्राम उत्पादन की उम्मीद है।
पिछले साल केन्या ने 32 करोड़ किलोग्राम चाय का उत्पादन किया था। लेकिन मौजूदा सीजन के अंत तक इसमें 5 फीसदी गिरावट की उम्मीद है। भारत के साथ केन्या भी नए चाय के मौसम की तैयारी जुटे हुए है। पिछले साल केन्या के उत्पादन में जहां 3 करोड़ किलोग्राम की कमी आई वहीं भारत में 60 लाख किलोग्राम तक की कमी आई।
इस वर्ष के पहले दो महीने में श्रीलंका के उत्पादन में 10 सालों में सबसे कम लगभग 2.5 करोड़ किलोग्राम की कमी आई, वहीं केन्या में 56 लाख किलोग्राम और भारत के उत्पादन में 1-1.2 करोड़ किलोग्राम तक की गिरावट आई। चाय की कीमतों में 20-25 रुपये प्रति किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई जो इस दशक के दौरान सबसे ज्यादा मूल्य बढ़ोतरी है।
चाय की पैकेजिंग करके बेचने वाले हिन्दुस्तान यूनीलिवर और टाटा टी ने कीमतों के संदर्भ में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। हालांकि टाटा चाय के सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में इस पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
डंकन गोयनका ग्रुप के अध्यक्ष, जी. पी. गोयनका का कहना है कि उनकी कंपनी पर जून तक कोई असर नहीं होने वाला है और उसके बाद मौजूदा स्थिति का हल निकाला जाएगा, कीमतें बढ़ाने का कोई सवाल नहीं है।
