कमोडिटी बाजार इस समय मुश्किल के दौर से गुजर रहा है और लगता है कि बाजार की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।
इस समय बाजार को लेकर तमाम बातें चल रही हैं। सेन कमिटी की रिपोर्ट हो या हाल में चार जिंसों के वायदा कारोबार पर प्रतिबंध लगाना, मुश्किलों की इसी फेहरिस्त में अब परेशान करने की बारी है कमोडिटी ट्रांजेक्शन टैक्स (सीटीटी)की।
कमोडिटी पर प्रस्तावित ट्रांजेक्शन टैक्स नया रेकॉर्ड बनाने वाला है। सीटीटी वह टैक्स है जो वायदा कारोबार पर लगाया जाना है। कुछ विकासशील देशों की तुलना में भारत में एक लाख पर 19.25 रुपये का टैक्स प्रस्तावित है। मोतीलाल ओसवाल के वरिष्ठ उपाध्यक्ष धर्मेश पंडया कहते हैं कि सीटीटी के आने के बाद जिंसों के ट्रांजेक्शन पर लगने वाला टैक्स दुनिया के किसी भी देश से ज्यादा है।
जापान में यह 4 रुपये प्रति लाख है तो चीन में 7 रुपये है। दूसरे कई देशों में भी यह काफी कम है। अमेरिका और मलयेशिया में 2 रुपये प्रति लाख और यूरोप में यह 1.5 रुपये प्रति लाख है। फिर भारत में यह इतना ज्यादा क्यों रखा गया है सीटीटी की वजह से हेजिंग पर बुरा असर पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है।
पंडया का कहना है कि कम ट्रांजेक्शन टैक्स होने की वजह से बाजार के खिलाड़ी दूसरे देशो का रुख कर सकते हैं। इस सवाल के जवाब में कि सरकार आगे भी सीटीटी के साथ आगे बढ़ेगी तो उसका क्या प्रभाव पड़ेगा। पंडया ने कहा कि यह कुछ समय तक तो प्रभावित करेगा।