खाड़ी देशों से मांग बढ़ने के कारण बासमती चावल की कीमत में पिछले महीने के मुकाबले 10 प्रति किलोग्राम की तेजी दर्ज की गयी है।
बासमती की कीमत मार्च माह के 60-65 रुपये प्रति किलोग्राम के मुकाबले 70-75 रुपये प्रति किलोग्राम हो गयी है। वहीं 40-45 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बिकने वाला पूसा-1121 चावल 58-60 रुपये प्रति किलोग्राम के स्तर पर पहुंच गया है।
लेकिन गैर बासमती चावल की हरियाणा एवं पंजाब में सरकारी खरीद भी नहीं हो पा रही है। साधारण चावल की कीमत अब भी 13-17 रुपये प्रति किलोग्राम के पुराने स्तर पर कायम है।हरियाणा के चावल निर्यातकों के मुताबिक एक तरफ सरकार गैर बासमती चावल के निर्यात की इजाजत नहीं दे रही है तो दूसरी तरफ खुद भी इसकी खरीदारी से साफ मना कर रही है।
सरकारी गोदामों में चावल रखने की कोई जगह नहीं है। सरकारी गोदामों में फिलहाल 1.5 करोड़ टन से अधिक चावल उपलब्ध है। हरियाणा राइस मिल एसोसिएशन के प्रधान सुभाष गोयल ने बताया कि गैर बासमती चावल के निर्यात की इजाजत नहीं मिलने से अंतरराष्ट्रीय बाजार में थाईलैंड एवं पाकिस्तान की पकड़ मजबूत होती जा रही है।
उन्होंने कहा कि समय रहते निर्यात नहीं खोला गया तो दूसरे देशों में भारतीय गैर बासमती चावल की पहचान खत्म हो जाएगी और इसका नुकसान चावल कारोबारियों को उठाना पड़ेगा। उन्होंने बताया फिलहाल ईरान से बासमती चावल की सबसे अधिक मांग चल रही है।
बासमती का निर्यात 1150-1300 डॉलर प्रति टन की दर से हो रहा है। खाड़ी देशों से आगे भी चावल की मांग कायम रहने की उम्मीद है। क्योंकि गर्मी में वहां लोग चावल खाना ज्यादा पसंद करते हैं।
