वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा है कि कपड़ा और वस्त्र क्षेत्र के लिए 12 फीसदी की दर से एकसमान वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने की सरकार की हालिया अधिसूचना का मकसद उल्टा शुल्क ढांचे में सुधार करना था। इस शुल्क ढांचे से कंपनियों के हाथ में इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) जमा हो जा रहा था। वह उद्योग की इस चिंता से सहमत नहीं हैं कि इसके कारण से उपभोक्ताओं को तैयार उत्पादों पर अधिक कीमत का भुगतान करना होगा।
उन्होंने जम्मू और कश्मीर के अपने दो दिवसीय दौरे दौरान एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, ‘दरों में समायोजन के कारण हर बार ग्राहकों के लिए कीमतें नहीं बढ़ती हैं। इनपुट पर अधिक दर के कारण करदाताओं को अधिक रिफंड मिलता था जिसमें सुधार किए जाने की जरूरत थी। उल्टे शुल्क ढांचे में सुधार का निर्णय जीएसटी परिषद में लिया गया था।’
केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) की ओर से जारी की गई अधिसूचना को उद्योग के अधिकांश हिस्से विशेष तौर सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) ने ठीक प्रकार से नहीं लिया था।
दिल्ली स्थिति टीटी लिमिटेड के संजय कुमार जैन ने कहा कि सरकार के इस कदम का लाभ उद्योग के केवल 15 फीसदी हिस्से को होगा जिसे इस उल्टे शुल्क ढांचे से परेशानी हो रही थी और शेष 85 फीसदी हिस्से खास तौर पर एमएसएमई खंड को इससे जबरदस्त नुकसान होने जा रहा है। टीटी लिमिटेड की मुख्य विनिर्माण इकाई तमिलनाडु के तिरुपुर में है। जैन ने कहा, ‘यह कई मोर्चों पर उद्योग के लिए बहुत ही खराब सौदा है। उपभोक्ताओं खासकर आम आदमी को 1 जनवरी से 6 से 7 फीसदी अधिक भुगतान करना होगा। ऐसा इसलिए है कि 1,000 रुपये से कम के कपड़ों पर फिलहाल 5 फीसदी जीएसटी लगता है।
चूंकि ऐसे कपड़ों का 85 फीसदी विनिर्माण एमएसएमई में क्षेत्र में होता है लिहाजा उस क्षेत्र में मांग और राजस्व दोनों को झटका लगेगा जो कि पहले ही कोविड से हलाकान है।’
विगत एक वर्ष में कपास और सूत की दरों में इजाफा होने से पहले ही कपड़ा क्षेत्र में कीमतों में 20 फीसदी का इजाफा हो चुका है।
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष राजा षणमुगम ने कहा, ‘देसी कंपनियों के लिए यह चिंता की बात है क्योंकि उन्हें अंतिम उपभोक्ता के लिए शुल्क को 5 फीसदी से बढ़ाकर 12 फीसदी करना होगा। निर्यातकों के लिए यह अच्छा कदम है क्योंकि इससे इनपुट टैक्स क्रेडिट पर होने वाले किसी भी प्रकार के संचय से राहत मिलेगी।’
उद्योग का मत है कि इस कदम से मांग प्रभावित होगी जिससे कार्यशील पूंजी की जरूरत बढ़ेगी और उत्पादन में कमी आएगी।
वहीं, कपड़ा मंत्रालय का मानना है कि इस कदम से मानव निर्मित फाइबर खंड को बढऩे में मदद मिलेगी और यह देश में नौकरी प्रदाता के तौर पर उभरेगा।
