कमजोर मांग के साथ ही निर्यात के कई सौदों के खारिज होने से गुजरात की मंडियों में मूंगफली तेल की कीमतों में खासी कमी हुई है।
महज हफ्ते भर में ही मूंगफली तेल के भाव में प्रति किलो 5 रुपये की कमी हुई है। कारोबारियों और किसानों को डर है कि यदि मांग में आगे उछाल न आया तो इसकी कीमतें और नीचे लुढ़केंगी।
फिलीपींस, इंडोनेशिया और यूरोपीय देशों ने मूंगफली तेल आयात के कई सौदों को रद्द कर दिया। इसकी वजह खराब गुणवत्ता बताई गई है। तेल की ताजा आवक के साथ रद्द किए गए सौदों के स्टॉक से स्थानीय बाजार अटे-पड़े हैं। इससे तेल की कीमतों पर काफी दबाव बन गया है।
इस बुधवार को मूंगफली तेल की कीमत स्थानीय बाजार में 59 से 59.5 रुपये प्रति किलो आंकी गई। महज दो दिन में इसकी कीमतें 5 रुपये प्रति किलो लुढ़ककर 55.5 से 60 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है। खुदरा बाजार में 15 किलो के टिन की कीमत एक हफ्ते में 1,060-1,065 रुपये से लुढ़ककर 1,020-1,025 रुपये प्रति टिन तक पहुंच गए हैं।
कारोबारियों का अनुमान है कि इसके भाव अभी और कम होंगे और 52.5 रुपये प्रति किलो तक लुढ़केंगे। मूंगफली के दाम निर्यात बाजार में 34,750 रुपये प्रति टन पर चल रहे हैं, जो इस महीने की शुरुआत में 6,000 रुपये प्रति टन पर थे। राजकोट की मंडी में तो प्रति किलो मूंगफली की कीमत तो 22 रुपये प्रति किलो के आसपास चल रही है।
मूंगफली कारोबारियों के मुताबिक, मूंगफली की ताजा आवक बढ़ने से इसकी कीमतों पर नकारात्मक असर पड़ रहा है। दूसरी ओर इसकी मांग भी कोई खास नहीं है। कुल मिलाकर इसका बाजार राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों ही स्तर पर काफी मंदा है। गुजरात की मंडियों में इसकी रोजाना आवक 1.25 लाख बोरियों की है।