सरकार ने ई-पोर्टल राष्ट्रीय एकल खिड़की प्रणाली (एनएसडब्ल्यूएस) करीब पांच महीने पहले परीक्षण के तौर पर शुरू कर दिया था और अब उसने रफ्तार भी पकड़ ली है। निवेशक अपने उपक्रम शुरू करने के लिए मंजूरियां हासिल करने के वास्ते अब इस पोर्टल का इस्तेमाल कर रहे हैं।
इस पोर्टल के जरिये पहली मंजूरी 18 जनवरी को दी गई थी और उसके बाद से इसने अच्छी प्रगति की है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि इस पोर्टल पर कुल 1,258 पंजीकृत सदस्य हैं, जिनमें से 378 ने पिछले एक हफ्ते में ही पंजीकरण कराया है। इस समय मंजूरी के सबसे ज्यादा आवेदन कंपनी मामलों के मंत्रालय और उपभोक्ता मामले, खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के पास विचाराधीन हैं। कंपनी मामलों के मंत्रालय में 33 और उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय में 295 आवेदनों पर काम चल रहा है।
इस पहल का अगुआई कर रहे उद्योग एवं आंतरिक व्यापार संवद्र्घन विभाग (डीपीआईआईटी) की कोशिश है कि वाहन कबाड़ संयंत्र के लिए पंजीकरण प्रमाणपत्र, हॉलमार्क वाले जेवरात बेचने के लिए आभूषण विक्रेताओं के पंजीकरण जैसे विभिन्न कामों के लिए सभी मंजूरियां इस एकल खिड़की पर ही मिलने लगें।
अधिकारी ने कहा, ‘पहली मंजूरी गुजरात में वाहन कबाड़ संयंत्र को दी गई थी। हम इस योजना को पूरी तरह इसी प्लेटफॉर्म पर लाने के लिए विभिन्न राज्यों के उद्योग विभागों के साथ काम कर रहे हैं ताकि योजना से जुड़ी सभी मंजूरियां यहीं मिल जाएं। ऐसी योजनाएं (वाहन कबाड़ योजना) रोजगार देती हैं और निवेश के मौके भी तैयार करती हैं।’ उन्होंने यह भी बताया कि इसे रफ्तार देने के लिए भूतल परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय के साथ काम किया जा रहा है। एनएसडब्ल्यूएस एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जो निवेशकों को अपनी निवेश के किसी भी प्रस्ताव को विभिन्न राज्यों तथा सरकारी विभागों से मंजूरियों की जरूरत पड़ती है।
यही देखकर एनएसडब्ल्यूएस बनाया गया ताकि विभिन्न पोर्टलों में कई आवेदन करने और बार-बार दफ्तरों के चक्कर लगाने की जरूरत नहीं पड़े तथा तय समय में मंजूरी मिल जाए।
डीपीआईआईटी उद्योग संगठनों के साथ बैठकें कर अनुरोध भी करता रहा है कि निवेशकों को इस पोर्टल का इस्तेमाल करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। इस समय एनएसडब्ल्यूएस पोर्टल के जरये 143 केंद्रीय मंजूरियों के लिए आवेदन किया जा सकता है। अभी 489 आवेदन इसमें लंबित हैं। जहां तक एकीकरण का सवाल है तो 20 मंत्रालय और सरकारी विभाग, 13 राज्य (आंध्र प्रदेश, गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र, हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, ओडिशा, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, कर्नाटक) और एक केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर एनएसडब्ल्यूएस से जुड़ चुके हैं। अधिकारी ने कहा, ‘अब बचे हुए केंद्रशासित प्रदेशों को अगले 20 दिनों में इससे जोडऩे पर जोर दिया जा रहा है। असम और राजस्थान के साथ बातचीत भी चल रही है। इस तरह जो राज्य आते हैं, उन्हें हम इससे जोड़ लेते हैं। कुछ राज्यों में पहले ही एकल खिड़की प्रणाली है।’ खेतान ऐंड कंपनी में पार्टनर अतुल पांडेय ने कहा, ‘सभी राज्यों का एक साथ आना मुश्किल है क्योंकि सबके कानून अलग-अलग हैं, कुछ विवाद भी हैं साथ ही कर्मचारियों की भी कमी है। राज्यों के पास बुनियादी ढांचा भी होना चाहिए।’
