महंगाई पर केंद्र सरकार द्वारा उठाए गए कदम से कदम मिलाते हुए गुजरात सरकार ने गेहूं व दाल के स्टॉक पर कड़ी निगरानी रखनी शुरू कर दी है।
राज्य सरकार का मकसद जरूरी खाद्यान्न की कीमतों पर लगाम कसना है। सरकार का कहना है कि अगर कोई गेहूं व्यापारी या मिल मालिक 10 हजार टन से ज्यादा स्टॉक रखता है तो उन्हें सरकार के सामने इस बात का खुलासा करना होगा। इसकी तरह दाल की प्रोसेसिंग करने वाले मिल मालिक कुल टर्नओवर का 12वां हिस्सा ही बतौर स्टॉक रख पाएंगे। कच्चा दाल के मामले में यह मात्रा कुल टर्नओवर का छठा हिस्सा होगा।
गुजरात स्टेट सिविल सप्लाई कॉरपोरेशन के सूत्रों ने बताया कि व्यापारी 10 हजार टन तक स्टॉक रख सकते हैं। अगर उनके पास इससे ज्यादा स्टॉक हो तो उन्हें इस बात की जानकारी सरकार को देनी होगी और यह भी बताना होगा कि ये माल कहां से खरीदे गए थे व कहां रखे गए हैं। इस बाबत जिला स्तर के अधिकारियों को निगरानी रखने को कहा गया है।
सरकार ने इन अधिकारियों को कहा है कि इसका उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। यहां इस बात का उल्लेख करना जरूरी है कि 2006-07 में मल्टिनैशनल कंपनियों ने स्टॉक जमा कर बाजार में कृत्रिम कमी पैदा कर दी थी।
हाल में गुजरात रोलर फ्लोर मिल्स असोसिएशन ने गेहूं के वायदा कारोबार पर पाबंदी जारी रखने की मांग की है। असोसिएशन के सचिव त्रिलोक अग्रवाल ने कहा कि अभी भी इन कंपनियों के पास काफी माल जमा है और ये कंपनियां गेहूं वायदा से पाबंदी हटाने के लिए लॉबिंग कर रही हैं।