सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती और मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए उठाए गए कदमों से 26 अप्रैल को समाप्त सप्ताह के दौरान राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली थोक तेल-तिलहन बाजार में तिल और मूंगफली मिल डिलीवरी तेल की कीमतों में 550 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज हुई।
स्टाकिस्टों की भारी बिकवाली के चलते तिल मिल डिलीवरी तेल के भाव थोक बाजार में 550 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट आई। स्टाकिस्टों की बिकवाली के अलावा अंतरराष्ट्र्ीय बाजार में गिरावट से भी खाद्य तेलों में गिरावट को बल मिला। एक अन्य तेल व्यापारी ने बताया कि सरकार द्वारा खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती और मुद्रास्फीति पर लगाम कसने के लिए उठाए गए कदमों खाद्य तेलों की कीमतों में गिरावट आई।
गुजरात सहित अन्य उत्पादक क्षेत्रों में बढ़ी हुई आवक के बीच मूंगफली मिल डिलीवरी तेल के भाव 220 रुपये की गिरावट के साथ सप्ताहांत में 6880 रूपए प्रति क्विंटल बंद हुए।
मूंगफली साल्वेंट रिफाइंड तेल के भाव 1210-1235 रुपये से घटकर सप्ताहांत में 1190-1220 रुपये प्रति टिन बंद हुए। राजस्थान से ताजा आवक के बीच स्थानीय मांग कमजोर पड़ने से सरसों एक्सपेलर तेल के भाव 150 रुपये की हानि के साथ सप्ताहांत में 5450 रूपए प्रति क्विंटल बंद हुए।
सोयाबीन रिफाइंड मिल डिलीवरी और सोयाबीन डिगम दिल्ली के भाव 200-200 रुपये की गिरावट के साथ सप्ताहांत में क्रमश: 5900 रुपये और 5750 रुपये प्रति क्विंटल बंद हुए। वहीं कच्चा पाम तेल एक्स कांडला के भाव 120 रुपये की हानि के साथ सप्ताहांत में 4560 रूपए प्रति क्विंटल बंद हुए। बिनौला मिल डिलीवरी तेल के भाव 250 रूपए की गिरावट के साथ सप्ताहांत में 5380 रुपये प्रति क्विंटल बंद हुए।
जैतून के तेल में गिरावट के लिए अभी और इंतजार
शुल्क कटौती के बाद जैतून के तेल की कीमत में गिरावट का अनुमान लगा रहे ग्राहकों को कुछ और दिन इंतजार करना होगा क्योंकि एक अप्रैल के बाद आयातित ताजा स्टाक अभी बाजार तक नहीं पहुंचा है।
भारतीय जैतून एसोसिएशन के अध्यक्ष वी एन डालमिया ने बताया, ” हमें उम्मीद है कि जैतून तेल की कीमत में लगभग 15 प्रतिशत की गिरावट आएगी लेकिन मई के मध्य में ही सही तस्वीर सामने आएगी क्योंकि एक अप्रैल के बाद आयातित ताजा स्टाक अभी बाजार तक नहीं पहुंचा है। ” डालमिया ने संकेत किया कि जैतून के तेल की कीमत में गिरावट विनिमय दरों के स्थिर रहने पर निर्भर करती है।
उन्होंने कहा कि शुल्क कटौती के अधिकांश फायदे हासिल नहीं हो सके क्योंकि यूरो में हाल ही में 15 प्रतिशत की मजबूती आई है।उन्होंने कहा कि पिछले छह महीने में यूरो 55 से 63 रुपये के बीच मजबूत हुआ है। इससे मुनाफे का मार्जिन खत्म हो गया अन्यथा उद्योग इस फायदे को ग्राहकों के साथ बांटता। डालमिया ने कहा कि शुल्क कटौती से उद्योग को बल मिलेगा और आम ग्राहक तक अच्छा जैतून तेल पहुंच सकेगा।
वनस्पति के निर्यात शुल्क में इंडोनेशिया करेगा कटौती
इंडोनेशिया वनस्पति तेलों के निर्यात शुल्क में कटौती करने जा रहा है। इंडोनेशिया विश्व में पामऑयल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। वनस्पति तेल पर लगने वाले निर्यात शुल्क में अगले महीने तक कटौती की संभावना है। बताया जा रहा है कि तेल की कीमत में गिरावट के कारण वहां की सरकार ने यह फैसला किया है।
इंडोनेशिया के व्यापार मंत्री ने बताया कि पामऑयल के निर्यात पर 15 फीसदी की कटौती की जाएगी। गौरतलब है कि अप्रैल महीने में इंडोनेशिया ने घरेलू बाजार में वनस्पति तेलों की आपूर्ति को मजबूत करने के लिए निर्यात शुल्क को बढ़ाकर 20 फीसदी कर दिया था। सरकार के इस फैसले के बाद वनस्पति तेल की कीमत में 24 फीसदी की गिरावट आ चुकी है।
इन दिनों विश्वव्यापी मंदी के कारण वनस्पति तेलों की मांग में कमी के कारण यह गिरावट दर्ज की गयी है। रिपोर्ट के मुताबिक मलेशिया के डेरिवेटिव एक्सचेंज में जुलाई महीने की डिलिवरी के लिए वनस्पति तेल में 1.2 फीसदी की गिरावट दर्ज की गयी।