मौजूदा रबी सत्र के लिए गेहूं की बोआई अच्छे तरीके से शुरू हो गई है। भंडार भरने के लिए संघर्ष कर रही केंद्र सरकार के लिए यह अच्छा संकेत है। हालांकि, बाजार में नई फसल अप्रैल के पहले सप्ताह से ही आएगी लेकिन बोआई के मौसम के लिए मजबूत शुरुआत आने वाले दिनों के लिए ठीक है। कृषि विभाग द्वारा मिले शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक 28 अक्टूबर तक 54,000 हेक्टेयर में गेहूं की बोआई की गई है। यह पिछले साल की समान अवधि से 54 फीसदी अधिक है।
कुल मिलाकर, पूरे मौसम में लगभग 3.05 करोड़ हेक्टेयर भूमि में गेहूं बोया जाता है और अब तक कवर किया गया क्षेत्र कुल रकबे का नगण्य हिस्सा है। लेकिन, इस साल व्यापारियों और बाजार सूत्रों को उम्मीद है कि अच्छी कीमतों और मजबूत मांग के कारण गेहूं के रकबे में 10-15 फीसदी की बढ़ोतरी हो सकती है।
दक्षिण-पश्चिम मॉनसून की देर से वापसी, जिसने यूरिया और डीएपी जैसे प्रमुख फसल आदानों की आसान उपलब्धता के साथ-साथ अच्छी अवशिष्ट मिट्टी की नमी को छोड़ दिया है, आगामी रबी सीजन में सामान्य से अधिक गेहूं के रकबे में मदद करने की उम्मीद है। कारोबारियों ने कहा कि अनाज विशेषकर गेहूं और चावल में समग्र तेजी के कारण इस साल मध्य और उत्तर भारत में चना के रकबे में कुछ बदलाव हो सकता है।
दिल्ली और उसके आसपास के इलाकों के खुले बाजार में गेहूं के भाव करीब 2700 रुपये प्रति क्विंटल पर कारोबार कर रहे हैं, जो कुछ महीने पहले तक करीब 2400 रुपये प्रति क्विंटल के हिसाब से बोली जा रही थी। मौजूदा बाजार मूल्य अगले सीजन के लिए संशोधित न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से भी बहुत अधिक है, जो अप्रैल 2023 में शुरू होगा। जो 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है। यह हाल के वर्षों में सबसे अधिक है। अन्य फसलों में, 28 अक्टूबर तक सरसों का रकबा पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में लगभग 34 फीसदी अधिक रहा है, जबकि चना का रकबा पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 68 फीसदी अधिक है।
इस साल एमएसपी से अधिक बाजार मूल्य होने के कारण, किसानों ने अपनी उपज निजी खरीदारों को बेचने का विकल्प चुना। इससे आधिकारिक खरीद में लगभग 57 प्रतिशत की गिरावट आई। यह पिछले साल के 4.33 करोड़ टन के मुकाबले लगभग 1.9 करोड़ टन हो गई। 1 अक्टूबर को केंद्रीय पूल में गेहूं का स्टॉक करीब 2.3 करोड़ टन है जो बफर नियम से 11 फीसदी ज्यादा है। केंद्र सरकार को उम्मीद है कि वित्त वर्ष 2022-23 के लिए केंद्रीय पूल में गेहूं का भंडार पीडीएस के लिए आवंटन और मुफ्त खाद्यान्न वितरण योजना के बावजूद 75 लाख टन के बफर मानदंड से लगभग 1.13 करोड़ टन अधिक होगा।
कुछ दिनों पहले, आटा मिल मालिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों से नवंबर-दिसंबर तक अपनी भंडार के एक हिस्से को समाप्त करने का अनुरोध करने के लिए मुलाकात की, क्योंकि पिछले कुछ दिनों से खुले बाजार की कीमतों में उछाल आई है।
