पिछले हफ्ते अब तक के सर्वोच्च स्तर पर पहुंच चुका सोना नवंबर महीने में अपनी चमक थोड़ी खो सकता है। यह अनुमान सोने के एक विशेषज्ञ ने रविवार को दी।
सोने का विश्लेषण करने वाले भार्गव वैद्य ने कहा कि नवंबर के अंत तक सोना 12-13 हजार प्रति 10 ग्राम के स्तर पर आ सकता है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी रहेगा। सोने की ऊंची कीमत सोने के सिक्के की मांग में बड़ा असर डालती है।
उन्होंने कहा कि ऊंची कीमत के चलते त्योहार के इस सीजन में मांग में अच्छी खासी कमी आई है। वैद्य ने कहा कि जब तक कीमतें नहीं गिरतीं, मांग में इजाफे की उम्मीद नहीं की जा सकती। मुंबई बुलियन असोसिएशन के प्रेजिडेंट सुरेश हुंडिया ने कहा कि हाजिर बाजार में 40 डॉलर प्रति आउंस के भारी-भरकम डिस्काउंट के बाद भी सोने के खरीदार नजर नहीं आ रहे।
बाजार में फिलहाल सिर्फ और सिर्फ बिक्रेता नजर आ रहे हैं। उन्होंने हालांकि कहा कि आने वाले दिनों में सोने की कीमत में निश्चित रूप से गिरावट आने के आसार हैं। एक और विशेषज्ञ अमित झावेरी ने बताया कि ऊंची कीमत के चलते बाजार में काफी बिक्रेता हैं। इन बिक्रेताओं में ज्यादातर ऐसे हैं जिनके पास कम मात्रा में सोना है।
दोनों ही कीमती धातुओं सोने और चांदी में शनिवार को भारी गिरावट देखी गई थी क्योंकि दुनिया भर के शेयर बाजार में रकम गंवा चुकेनिवेशकों ने इस बाजार में मुनाफावसूली की। शनिवार को सोना स्टैंडर्ड 665 रुपये प्रति 10 ग्राम की गिरावट के साथ 13440 रुपये के स्तर पर आ गया था। शुध्द सोना इस दौरान 13500 रुपये प्रति 10 ग्राम पर आ गया था।
शुक्रवार को न्यू यॉर्क के बाजार में सोना इसलिए लुढ़का था क्योंकि वॉल स्ट्रीट में नुकसान झेलने वाले निवेशकों ने इसकी भरपाई के लिए कीमती धातुओं में से अपना निवेश निकाल लिया था। शुक्रवार को सोना करीब 9.6 फीसदी गिरा था क्योंकि निवेशकों ने सोने में निवेशित धन निकाल लिया था।
इससे पहले सोना ढाई महीने के उच्चतम स्तर 931 डॉलर प्रति आउंस पर पहुंच गया था क्योंकि वित्तीय संकट केकारण दुनिया भर के शेयर बाजार में मची तबाही के बाद लोगों ने सुरक्षित निवेश की तलाश में सोने में निवेश बढ़ा दिया था।
इसके बाद शेयर बाजार में अपने स्टॉक बचाने की खातिर मार्जिन मनी की जरूरत पूरा करने के लिए निवेशकों ने सोना बेच दिया था। इस वजह से सोना 823.5 डॉलर प्रति आउंस के निचले स्तर पर पहुंच गया था। हाजिर बाजार में सोना 845 डॉलर के स्तर पर आ गया था और इस तरह इसमें 7.2 फीसदी की गिरावट आई थी।