इस साल सोने में निवेश ने अब तक अच्छा रिटर्न दिया है और सभी संपत्ति वर्ग में यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाला रहा है जबकि पिछले साल इसका प्रदर्शन कमतर था। अंतरराष्ट्रीय बाजार में सोना आज 1,900 डॉलर प्रति औंस पर कारोबार कर रहा था, जो जनवरी के अंत में 1,796 डॉलर प्रति औंस पर था। मौजूदा भाव पर सोना जून 2021 के बाद से उच्चतम स्तर पर कारोबार कर रहा है।
फरवरी में सोने के दाम में करीब 5 फीसदी की तेजी आई है और इस साल की शुरुआत से यह तकरीबन 4 फीसदी चढ़ा है। दूसरी ओर उच्च मुद्रास्फीति तथा रूस और यूक्रेन के बीच भू-राजनीतिक तनाव की वजह से शेयर और मुद्रा में काफी उतार-चढ़ाव दिख रहा है। डाऊ जोंस इस साल अब तक 6.2 फीसदी और सेंसेक्स 2 फीसदी नीचे आ चुका है। डॉलर के मुकाबले रुपया भी इस साल अब तक 1.6 फीसदी नरम हुआ है। निक्केई, एफटीएसई 100, शांघाई कंपोजिट सहित दुनिया के अन्य प्रमुख सूचकांकों का प्रदर्शन भी कमतर रहा है।
ऐतिहासिक तौर पर मुद्रास्फीति और आर्थिक अनिश्चितता के दौर में सोना हेजिंग के काम आता है। इस वजह से सोना अन्य संपत्ति वर्ग की तुलना में बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। उदाहरण के लिए 2020 में कोविड महामारी के चलते शेयरों और जिंसों के दाम में गिरावट के बीच सभी संपत्ति वर्ग में सोने का प्रदर्शन अव्वल रहा था। 2020 में सोने के दाम में 25.1 फीसदी की तेजी आई थी जबकि सेंसेक्स (डॉलर मद में) 13.1 फीसदी और डाऊ जोंस औद्योगिक औसत 7.2 फीसदी चढ़ा था। हालांकि 2021 में आर्थिक हालात में सुधार के संकेत और वैश्विक शेयर बाजार में तेजी के बीच सोने के दाम में 3.6 फीसदी की नरमी आई थी। 2022 में शेयरों के भाव फिर घट रहे हैं, वहीं सोना 2021 के मार्च के अपने निचले स्तर से 11 फीसदी चढ़ चुका है।
अमेरिका में उपभोक्ता मूल्य आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 7.5 फीसदी पर पहुंच गई जो चार दशक का उच्चतम स्तर है। इसके साथ ही यूरोप में भू-राजनीतिक तनाव ने निवेशकों को सुरक्षित माने जाने वाले सोने की खरीद के लिए प्रेरित किया। प्रभुदास लीलाधर में शोध विश्लेषक (जिंस एवं मुद्रा) मेघ मोदी ने कहा, ‘भू-राजनीतिक तनाव बढऩे से सोने में तेजी बनी हुई है क्योंकि निवेशक सुरक्षित निवेश के लिए इसका रुख कर रहे हैं। बुलियन में लगातार तीसरे हफ्ते तेजी दर्ज की गई।’
न्यूयॉर्क फेड के अध्यक्ष जॉन विलियम और शिकागो फेड के प्रमुख चाल्र्स ईवान ने दरों में भारी-भरकम बढ़ोतरी के बिना नीतियों में सख्ती के संकेत दिए थे। उच्च ब्याज दर सोने के दाम के लिए अच्छा नहीं है क्योंकि सोने में निवेश पर शेयर और बॉन्ड की तरह ब्याज या लाभांश नहीं मिलता है। कई विश्लेषकों का कहना है कि टे्रडरों द्वारा मुनाफावसूली से सोने के दाम में कमी आएगी। हालांकि मध्यम से दीर्घावधि में सोने के दाम में तेजी बनी रह सकती है। विश्व स्वर्ण परिषद के विश्लेषकों ने कहा है, ‘केंद्रीय बैंकों द्वारा दरें बढ़ाए जाने से सोने को थोड़ा अवरोध मिलेगा लेकिन मुद्रास्फीति में तेजी और शेयर बाजारों में गिरावट से सोने की मांग बनी रहेगी।’
