तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) के चेयरमैन सुभाष कुमार ने आज कहा कि तेल व गैस क्षेत्र में अन्वेषण एवं उत्पादन के क्षेत्र में वैश्विक निवेश इस साल महामारी के पहले के स्तर की तुलना में 30 प्रतिशत कम होगा।
कंपनी की 28वीं सालाना बैठक को संबोधित करते हुए कुमार ने कहा, ‘पिछले साल वैश्विक अपस्ट्रीम निवेश घटकर 15 साल के निचले स्तर 350 अरब डॉलर पर पहुंच गया था, क्योंकि ऑपरेटर नकदी का प्रवाह बचाने और अपनी बैलेंस शीट दुरुस्त करने पर ध्यान केंद्रित किए हुए थे और ऐसा करने के लिए खर्च में कटौती की जा रही थी। इस साल निवेश 3-4 प्रतिशत बढऩे की संभावना है, वहीं यह अभी भी महामारी के पहले की तुलना में 30 प्रतिशत के करीब कम रहेगा।’
उन्होंने कहा, ‘ये घटनाक्रम तेल व गैस की कीमतों की काल्पनिक उतार चढ़ाव वाली प्रकृति की पुष्टि करने के साथ इस तथ्य की ओर भी इशारा कर रहे हैं कि तेल व गैस ऊर्जा के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं और इसकी वजह से इन क्षेत्र में बड़ी मात्रा में पूंजी निवेश की जरूरत है क्योंकि इसके बाद इसका असर बहुत दुखद हो सकता है।’ तेल व गैस पर निर्भरता जारी रहने के मसले पर कुमार ने कहा, ‘देश का एनर्जी मिक्स जीवाश्म ईंधन पर बहुत ज्यादा निर्भर है, जो ऊर्जा की घरेलू जरूरतों का 90 प्रतिशत से ज्यादा है। उद्योग से सभी परिदृश्यों में उम्मीद की जा रही है कि भारत में ऊर्जा की मांग 2050 तक कम से कम दोगुनी हो जाएगी, जिसमें प्राकृतिक गैस में तेज बढ़ोतरी की संभावना है।’
भविष्य के उत्पादन पर उन्होंने कहा, ‘अगर आगे की स्थिति देखें तो अगले कुछ वर्षों में पूर्वी तटीय इलाके में कृष्णा गोदावरी डीप वाटरफील्ड और पश्चिमी तट पर छिछले पानी के हीरा में घरेलू उत्पादन बढऩे की संभावना है।’
