एशिया में 379 अरब डॅालर के गैस अवसंरचना के विस्तार की योजना कोयला से प्राकृतिक गैस की ओर रुख करने की संभावानाओं पर टिकी है लेकिन इससे संपत्ति के फंस जाने का जोखिम है। यह जोखिम इसलिए नजर आ रहा है कि अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी ने जून 2021 में कहा था कि वैश्विक स्तर पर शुद्घ शून्य उत्सर्जन की स्थिति भविष्य की सभी जीवाश्म ईंधन के विकास को रोकने पर निर्भर करेगा।
ग्लोबल एनर्जी मॉनिटर (जीईएम) की एक नई रिपोर्ट के मुताबिक निवेश में वृद्घि इसलिए हो रही है कि समूचे एशिया में अप्रत्याशित संख्या में कोयले को नकारा जा रहा है। ऐसा व्यापक पैमाने पर लोगों के विरोध, कोयले के वित्त विकल्पों के धूंधला पडऩे और कोयला संयंत्रों की लागत बढऩे के कारण हो रहा है। हालांकि, शून्य कार्बन नवीकरणीय ऊर्जा की ओर बढऩे की बजाय बहुत सारे देश गैस की तरफ जा रहे हैं।
प्राकृतिक गैस परियोजनाओं में निवेश प्रस्तावित हैं और पूर्व, दक्षिण तथा दक्षिणपूर्व एशिया में निर्माणाधीन हैं। नियोजित निवेश में चीन का दबदबा है जो 131 अरब डॉलर है। चीन से परे वियतनाम, इंडोनेशिया, भारत, थाइलैंड, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, जापान, म्यांमार, ताइवान और पाकिस्तान में निवेश द्वारा सबसे बड़े गैस विस्तार की योजना है।
इनमें से भारत, थाइलैंड और इंडोनेशिया ऐसे देश हैं जिनका फिलहाल निर्माणाधीन बुनियादी ढांचों में सबसे अधिक निवेश है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत, थाइलैंड और इंडोनेशिया का निर्माण परियोजनाओं में क्रमश: करीब 16 अरब डॉलर, 8 अरब डॉलर और 7 अरब डॉलर का निवेश है।
भारत के नियोजित कोयला बिजली में करीब 90 फीसदी की कमी आई है। यह 2015 के बाद से 250 गीगावॉट से घटकर 28 गीगावॉट पर आ चुकी है जबकि निर्माणाधीन कोयला बिजली आधे से अधिक कम हो गई है। यह 79 गीगावॉट से घटकर 36 गीगावॉट पर आ चुकी है। भारत में 29.5 अरब डॉलर की गैस परियोजनाएं विकसित हो रही हैं जिसमें 1 गीगावॉट की गैस से बनने वाली बिजली, 21,000 किलोमीटर की गैस पाइपलाइन और 68 एमटीपीए की एलएनजी आयात क्षमता का विकास शामिल है।
जापान ने 2021 में सभी नियोजित कोयला संयंत्रों को रद्द कर दिया और नए विदेशी कोयला संयंत्रों को वित्त देना बंद करने का प्रण लिया। इस साल भी जापान ने एशिया में कोयला से गैस की तरफ बढऩे सहित कार्बन उत्सर्जन में कटौती करने वाली परियोजनाओं के लिए 10 अरब अमेरिकी डॉलर के सार्वजनिक और निजी वित्त सहायता का वादा किया। जापान में 13 अरब डॉलर की गैस परियोजनाएं विकसित हो रही हैं जिनमें 15 गीगावॉट का प्रस्तावित गैस से चलने वाला बिजली संयंत्र क्षमता शामिल है।
