कमोडिटी एक्सचेंज नेशनल कमोडिटीज एंड डेरिवेटिव्स एक्सचेंज (एनसीडीईएक्स) में 30 सितंबर से एक बार फिर रॉबस्टा एबी कॉफी के वायदा अनुबंध का कारोबार शुरू होगा। शुरुआत में फरवरी 2023, मार्च 2023 और अप्रैल 2023 में खत्म होने वाले मासिक अनुबंध ट्रेडिंग के लिए उपलब्ध कराए जाएंगे। अनुबंध अनिवार्य डिलिवरी वाले होंगे और कर्नाटक के कुशालनगर में उनकी डिलिवरी होगी।
एनसीडीईएक्स के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्य अधिकारी अरुण रास्ते ने कहा कि कॉफी उत्पादन में दक्षिण भारतीय राज्यों के छोटे उत्पादकों की बहुलता है, जिन पर वैश्विक बाजार से सीधे जुड़े घरेलू बाजारों में कीमतें ऊपर-नीचे जाने का जोखिम मंडराता रहता है। इन नए अनुबंधों से देसी उत्पादकों को व्यक्तिगत और सामूहिक स्तर पर मूल्य के जोखिम से बचने का मौका मिलेगा। साथ ही इस कमोडिटी की वैश्विक स्तर पर बड़ी पैठ है, जिस कारण हमारी कॉफी मूल्य श्रृंखला के भागीदारों को बेंचमार्क कीमतों का स्वदेशी स्रोत मुहैया कराने के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने का यह अहम कदम होगा। साथ ही हमें उम्मीद है कि इस अनुबंध से व्यापार की जटिलता खत्म होगी और यह आसान बन जाएगा।
उन्होंने कहा कि इस अनुबंध की शुरुआत एनसीडीईएक्स के लिहाज से खास है क्योंकि इसके साथ ही एक्सचेंज पहली बार दक्षिण भारत में कदम रख रहा है। भारत में कॉफी का लगभग समूचा उत्पादन कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में ही होता है। अनुबंध की दैनिक मूल्य सीमा 6 फीसदी% (4 फीसदी +2 फीसदी ) होगी, जिसका मतलब है कि कीमत 4 फीसदी ऊपर या नीचे होते ही 15 मिनट के लिए ट्रेडिंग रोक दी जाएगी। उसके बाद सत्र खत्म होने तक कीमत में पहले के प्राइस मूवमेंट की ही दिशा में और 2 फीसदी तक उतार या चढ़ाव की इजाजत दी जा सकती है। अनुबंध का लॉट साइज कमोडिटी के सामान्य कारोबार की तर्ज पर एक मीट्रिक टन तय किया गया है।
एनसीडीईएक्स के चीफ बिजनेस ऑफिसर कपिल देव ने कहा कि दुनिया भर में कॉफी सबसे ज्यादा ट्रेडिंग वाला सॉफ्ट-कमोडिटी अनुबंध रहा है। देश में हेजिंग का कोई उपाय नहीं होने के कारण भारतीय किसानों के पास ऐसी गतिविधियों का फायदा उठाने का विकल्प नहीं था। कीमत का पता लगाने के लिए भी उन्हें अंतरराष्ट्रीय एक्सचेंजों पर ही पूरी तरह निर्भर रहना पड़ता था। भारत 60 फीसदी उपज का निर्यात करता है, इसलिए स्वदेशी कॉफी का वायदा अनुबंध देश में ही मूल्य जोखिम संभालने के लिहाज से निर्यातकों के लिए वरदान होगा।
दुनिया भर में करीब 1 करोड़ टन कॉफी उत्पादन होता है और तकरीबन 350,000 टन सालाना उत्पादन के साथ भारत की वैश्विक कॉफी उत्पादन में 3.5-4 फीसदी हिस्सेदारी है। देश के कुल उत्पादन में कर्नाटक की 71 फीसदी हिस्सेदारी है। उसके बाद केरल की 21 फीसदी और तमिलनाडु की 5 फीसदी भागीदारी है। लगभग 65 फीसदी उत्पादन का निर्यात कर दिया जाता है और बाकी की खपत देश में होती है। देसी बाजार में भी कॉफी की मांग बढ़ रही है और इसीलिए आंध्र प्रदेश, ओडिशा तथा पूर्वोत्तर राज्यों के गैर पारंपरिक इलाकों में भी इसके बागान बढ़ रहे हैं।
