सरकार द्वारा पेट्रोल व डीजल के निर्यात पर विशेष अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाए जाने को लेकर मिली जुली प्रतिक्रिया मिली है। देश में ईंधन की कमी के मसले से निपटने के लिए उठाए गए इस कदम से निजी क्षेत्र चिंतित है। आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि इस साल मात्रा के हिसाब से पेट्रोल व डीजल के निर्यात में क्रमशः 13 प्रतिशत और 20 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
विमान ईंधन (एटीएफ) के निर्यात में भी इस वित्त वर्ष के पहले दो महीने में 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है। निर्यातकों ने संकेत दिए कि शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद रिफाइनर लाभ में हैं। यूक्रेन के साथ युद्ध होने के बाद निजी रिफाइनरों जैसे रिलायंस इंडस्ट्रीज और रोसनेफ्ट समर्थित नयारा एनर्जी ने सूचना के मुताबिक भारी मुनाफा कमाया है और उन्होंने ईंधन की कमी वाले देशों यूरोप, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया को निर्यात किया है। इन्हें भारी मुनाफा इसलिए हुआ कि रूस का कच्चा तेल उनके लिए भारी छूट पर उपलब्ध था।
यह उल्लेख किया गया है कि रिफाइनर पेट्रोल व डीजल का निर्यात कर रहे थे, जब कीमतें बहुत ज्यादा थीं। सरकार के मुताबिक निर्यात का लाभ उठाने के लिए रिफाइनरों ने घरेलू बाजार में अपने पेट्रोल पंपों पर आपूर्ति बंद कर दी।
चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीने में पेट्रोल का निर्यात 22.7 लाख टन से बढ़कर 25.6 लाख टन हो गया। इसी तरह से डीजल का निर्यात अप्रैल मई 2021-22 में 57.6 लाख टन रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि में 48.2 लाख टन था।
उद्योग के सूत्र ने कहा कि जून महीने में यह आंकड़े बहुत ज्यादा रहने की संभावना है, क्योंकि इस दौरान ईंधन की कमी चरम पर थी। मौजूदा फैसले के बाद निर्यात कम होने की उम्मीद है।
रुपये के हिसाब से पेट्रोल का निर्यात दोगुना होकर वित्त वर्ष 2021-22 के पहले दो महीने में 23,522 करोड़ रुपये हो गया, जो अप्रैल मई 2020-21 के दौरान 10,917 करोड़ रुपये था।
वहीं चालू वित्त वर्ष के पहले 2 महीने के दौरान डीजल का निर्यात मूल्य 50,289 करोड़ रुपये रहा, जो पिछले साल की समान अवधि के दौरान 19,047 करोड़ रुपये था। 2021-22 में भारत ने 135 लाख टन पेट्रोल और 320 लाख टन डीजल का निर्यात किया।
इक्रा में वाइस प्रेसीडेंट और को-ग्रुप हेड प्रशांत वशिष्ट ने कहा, ‘निर्यात शुल्क का असर रिलायंस, नयारा, मंगलौर रिफाइनरी ऐंड पेट्रोकेमिल्स (एमआरपीएल) और चेन्नई पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (सीपीसीएल) जैसी 3-4 कंपनियों पर पड़ेगा। शुल्क में बढ़ोतरी के बावजूद कुल मिलाकर सकल रिफाइनिंग मुनाफा और क्रैक स्प्रेड्स बहुत ज्यादा बना रहेगा। सिंगापुर जीआरएम अभी तेज है और उम्मीद है कि यह स्थिति बनी रहेगी, क्योंकि मांग बढ़ रही है।’
सिंगापुर के सकल रिफाइनिंग मुनाफे में औसतन 20 डॉलर प्रति बैरल की बढ़ोतरी देखी गई, जो भारत के तेलशोधकों के लिए फायदेमंद रहा, जिन्होंने रूस से कच्चा तेल खरीदना शुरू कर दिया था। भारत ने रूस से करीब 10 लाख बैरल प्रतिदिन कच्चे तेल का आयात किया, जो मई के 8,40,000 बैरल और अप्रैल के 3,88,000 बैरल प्रति दिन की तुलना में ज्यादा है। जीआरएम वह राशि होती है, जो प्रति बैरल कच्चे तेल को रिफाइंड पेट्रोलियम उत्पादों में बदलने पर रिफाइनरी को मिलती है।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज के सीनियर रिसर्च एनलिस्ट साबरी हजारेका ने कहा, ‘निर्यात शुल्क उस समय लगाया गया, जब कुछ तेलशोधकों ने अपने घरेलू पेट्रोल पंपों पर आपूर्ति बंद कर दी और अब तक का सर्वाधिक मुनाफा कमाने के लिए विदेश में पेट्रोलियम की बिक्री शुरू कर दी। निजी कंपनियों आरआईएल, नयारा पर इसका असर पड़ेगा। हमारा अनुमान है कि एसईजेड इकाई सहित आरआईएल का जीआरएम 10 डॉलर प्रति बैरल घटेगा।’
