विदेशों खासतौर पर इंडोनेशिया में कोकिंग कोयले की खान के अधिग्रहण के लिए बुधवार को कोयला मंत्रालय ने एक एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हीकल) का गठन किया है।
इसमें कोयला मंत्रालय के अधिकारियों के अलावा सार्वजनिक क्षेत्र की इस्पात कंपनियों राष्ट्रीय इस्पात निगम लिमिटेड और स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड के अधिकारियों को शामिल किया गया है।
बुधवार को राजधानी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केंद्रीय कोयला राज्यमंत्री संतोष बगरोदिया ने बताया कि अभी हाल ही में एक प्रतिनिधिमंडल ने इंडोनेशिया का दौरा किया और वहां की सरकार से कायले की खान के अधिग्रहण को लेकर कई दौर की बातचीत की। लेकिन इस खान को भारत को देने के बारे में कोई भी निर्णय वहां की सरकार की इच्छा पर ही निर्भर करता है।
उनके मुताबिक, मंत्रालय ने अब तक इस सौदे के लिए किसी भी तरह का कोई प्रस्ताव तय नहीं किया है और न ही इसके लिए कोई लक्ष्य और समय-सीमा ही तय किया है। पर उनके मुताबिक, सरकार के सामने दूसरे भी विकल्प मौजूद हैं। वह अफ्रीकी देशों विशेषकर द. अफ्रीका के कोयले खानों पर निगाहें जमाये हुए है। मालूम हो कि यहां कोयले का खनन सीधे निर्यातकों द्वारा भी किया जा सकता है।
वित्त के बारे में कोयला राज्यमंत्री ने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कोयला कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड के पास पर्याप्त धनराशि है। लिहाजा यह किसी भी प्रकार की खान का अधिग्रहण कर सकता है। ऊर्जा मंत्रालय के आरोपों को नकारते हुए बागरोदिया ने कहा कि उसके पास पर्याप्त मात्रा में कोयले का भंडार है। फिलहाल देश में 4.7 करोड़ टन कोयले का भंडार है जिसे हम इस साल घटाकर 2.5 करोड़ टन तक लाने का इरादा रखते हैं।
इस्पात तैयार करने में कोकिंग कोयले का उपयोग ईंधन के रूप में किया जाता है और उपयोगिता के लिहाज से इसकी भूमिका इस्पात निर्माण में काफी महत्वपूर्ण होती है। इंडोनिशया से आयात होने वाले कोकिंग कोयले की कीमत के पूरे साल भर अस्थिर रहने से परेशान देश के इस्पात निर्यातक ने कई बार इस मुद्दे को लेकर बैठक की है।
उल्लेखनीय है कि कोकिंग कोयले का भाव महज साल भर में 98 डॉलर प्रति टन से उछलकर 275 डॉलर से 290 डॉलर प्रति टन के बीच पहुंच गया है। पिछले साल देश में जहां कुल 4.2 करोड़ टन कोकिंग कोयले का आयात किया गया, वहीं इसमें कोकिंग कोयले की हिस्सेदारी 2.2 करोड़ टन की रही।
सरकार पूरी कोशिश कर रही है कि किसी भी सूरत में कोयले का आयात 5 करोड़ टन से ज्यादा न हो। देश में कोकिंग कोयले का सालाना उत्पादन 75 लाख टन प्रति वर्ष है जबकि इसका कुल भंडार 4.6 अरब टन है।