केंद्र सरकार ने आज स्पष्ट किया कि भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) के गोदामों से 2,000 रुपये प्रति क्विंटल की रियायती मूल्य पर चावल लेकर एथेनॉल निर्माण के लिए इस्तेमाल करने की व्यवस्था केवल कामचलाऊ स्तर पर होगी। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि आगामी अनाज आधारित भट्िठयों को तैयार कच्चे माल की कमी नहीं पड़े और इन भट्िठयों के लिए मुख्य कच्चा माल मक्का ही रहेगा न कि चावल।
2023 तक ई-20 ईंधन तैयार करने के लिए एथनॉल की पर्याप्त आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए केंद्र ने नवंबर में समाप्त हो रहे चालू विपणन वर्ष के लिए भट्िटयों को सरकारी निगम भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) से 20 रुपये प्रति किलोग्राम की रियायती दरों पर 78,000 टन चावन का आवंटन किया है।
खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने आज संवाददाताओं से कहा, ‘आप दुनिया भर में भी देखें तो सालाना तैयार होने वाले 10,000 करोड़ लीटर एथेनॉल में से 73 फीसदी मक्के से तैयार होता है और बहुत कम हिस्सा चावल से तैयार किया जाता है। भारत में भी एफसीआई से अतिरिक्त चावल लेकर केवल यह सुनिश्चित किया जाएगा कि अनाज आधारित भट्िठयों की 100 करोड़ लीटर एथेनॉल निर्माण की क्षमता के लिए कच्चे माल की कमी नहीं पड़े जबकि इन संयंत्रों की जरूरतों को पूरा करने के लिए मक्के का उत्पादन बढ़ाया जाएगा।’ वह इस सवाल पर प्रतिक्रिया दे रहे थे कि क्या एफसीआई के अतिरिक्त चावल को 2,000 रुपये प्रति क्विंटल खरीद कर एथेनॉल निर्माण के लिए देना उचित होगा जबकि वह उसी चावल को खुले बाजार परिचालनों के लिए ऊंची कीमत पर बेचता है और कम कीमत पर होने वाली इस बिक्री पर सब्सिडी का बोझ कौन वहन करेगा।
इस सौदे के लिए सब्सिडी दी जाएगी क्योंकि 2020-21 में एफसीआई के चावल की आर्थिक लागत करीब 30 रुपये प्रति किलोग्राम अनुमानित है जबकि नई नीति के मुताबिक उसी चावल को अनाज आधारित भट्िठयों को 20 रुपये प्रति किलोग्राम की दर से बेचा जाएगा। पांडे ने यह भी कहा कि भारत आपूर्ति वर्ष 2020-21 (दिसंबर से नवंबर) में पेट्रोल में करीब 8-8.5 फीसदी एथेनॉल मिश्रित करेगा जिसका करीब 13 फीसदी गैर-गन्ना स्रोतों से तैयार किया जाएगा जबकि 57 फीसदी एथनॉल का निर्माण बी-प्रकार के भारी शीरे से किया जाएगा।
ऐसा करने पर भारत 2021-22 आपूर्ति वर्ष तक 10 फीसदी एथेनॉल मिश्रण और 2025 तक 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पाने के करीब पहुंच जाएगा। खाद्य सचिव पांडे ने कहा, ‘यदि भारत 2025 तक 20 फीसदी एथेनॉल मिश्रण के लक्ष्य को पाने में सफल हो जाता है तो इससे कार्बन मोनोऑक्साइड के उत्पादन में 30-35 फीसदी, हाइड्रोकार्बन के निर्माण में 20 फीसदी की कटौती होगी। साथ ही अतिरिक्त अनाज व चीनी की खपत होगी जिससे किसानों को लाभ होगा।’
