मध्य प्रदेश में सोया की खेती करने वाले किसानों को इस वर्ष बीज की कमी का सामना करना करना पड़ रहा है।
हालांकि बीज का संकट इन किसानों के लिए नया नहीं है लेकिन पिछले साल हुई जबर्दस्त फसल और उससे होने वाले नफे से किसानों का विश्वास सोया की फसल के तरफ बढ़ा है। यही कारण है कि राज्य भर में प्रमाणित बीजों के मांग में बढ़ोतरी हुई है।
विभिन्न जिले के किसानों ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि पूरे राज्य भर में प्रमाणित बीज उपलब्ध नहीं हैं। निजी खुदरा बीज विक्रेताओं ने सोया के बीज की कीमत बढ़ा कर 3,000-3,500 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है जबकि सरकार द्वारा दी जानी वाली छूटों के तहत सोया के विभिन्न किस्म जैसे 9305, जेएस-335(सर्वाधिक प्रचलित बीज), एनआर-37 और एनआर-86 के बीजों की कीमत 2,500, 2,650 और 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं।
दूसरी जरफ राज्य सरकार का कहना है कि इस वर्ष प्रमाणित बीज आवश्यकता से अधिक मात्रा में उपलब्ध है। कृषि विभाग के मुख्य सचिव प्रवेश शर्मा ने बताया, ‘खरीफ के मौसम के लिए प्रमाणित बीजों की हमारी जरुरत 7.20 लाख क्विंटल की है जबकि उपलब्धता 8.29 लाख क्विंटल की है। अगर हम सोया के बीज के मामले की बात करें तो उपलब्धता 6.99 लाख क्विंटल की है जबकि मांग उससे कम 5.88 लाख क्विंटल की है।
5.72 लाख क्विंटल सोया बीज में से 3.72 लाख क्विंटल की आपूर्ति राज्य सरकार की एजेंसियों द्वारा की जाएगी और 3.26 लाख क्विंटल की आपूर्ति निजी क्षेत्रों द्वारा करवायी जाएगी।’ शुजलपुर, उज्जैन, रायसेन, इंदौर, बेतुल, भोपाल और विदिशा जिले के किसानों ने बताया कि खुदरा विक्रेता स्थानीय तौर पर उगाए गए बीज के किस्मों को भी बहुत अधिक कीमत पर बेचते हैं।
रायसेन जिले के हिनोटिया गांव के एक किसान नारायण सिंह ने कहा, ‘मैंने एक खुदरा बीज विक्रेता से दो क्विंटल ‘सोनिया’ किस्म के बीज की खरीदारी 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के दर पर की है और वह किसी भी कीमत पर और बीज बेचने को तैयार नहीं था। सोया बीज की सबसे प्रचलित किस्म जेएस-335 की आपूर्ति कम हो रही है और यह केवल निजी दूकानों पर 3,200-3,500 रुपये प्रति क्विंटल जितनी अधिक कीमत पर उपलब्ध है।’
इस सप्ताह हुई अच्छी बारिश ने किसानों को सोये की खेती के लिए प्रोत्साहित किया है लेकिन मॉनसून के सामयिक लाभों को प्राप्त करना कठिन साबित हो रहा है। सोयाबीन प्रोसेसर्स ऑफ इंडिया के प्रवक्ता ने कहा, ‘खेती के क्षेत्र में इस वर्ष राष्ट्रीय स्तर पर 10 प्रतिशत की वृध्दि हो सकती है। हमारा अनुमान है कि मध्य प्रदेश में यह कम से कम 5 प्रतिशत तो बढ़ेगा ही।
पिछले वर्ष 47 लाख हेक्टेयर जमीन पर सोया की खेती की गई थी और अनुमानों के मुताबिक इस साल यह क्षेत्र बढ़ कर 50 लाख हेक्टेयर हो सकता है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर प्रमाणित बीज उपलब्ध नहीं होते हैं तो किसान आम तौर पर सामान्य बीजों को प्रयोग में लाते हैं लेकिन इसे उपज प्रभावित हो सकती है। राज्य सरकार को चाहिए कि वह कम कीमत पर अच्छे बीज किसानों को उपलब्ध कराए। कृषि विस्तार योजना के अंतर्गत हमने 7,000 क्विंटल प्रमाणित बीज का प्रावधान किया है।’