आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडल समिति (सीसीईए) ने आज एक छत्र प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत आने वाली तीनों घटकों को 2021 से पांच वर्ष विस्तारित कर 2026 तक करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी। इसमें रेणुकाजी बांध परियोजना (हिमाचल प्रदेश) और लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना (उत्तराखंड) नामक दो राष्ट्रीय परियोजनाओं का प्रावधान किया गया है। इन पयिोजनाओं से राजधानी दिल्ली और इसके आप पास के इलाकों में जल आपूर्ति काफी अधिक सुधार होगा।
बयान में कहा गया है कि इससे दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तरप्रदेश, हरियाणा और राजस्थान को जलापूर्ति होगी तथा जल प्रवाह बनाए रखने में मदद मिलेगी तथा यमुना को नया जीवन मिलेगा।
इस पर कुल लागत 93,068 करोड़ रुपये आने का अनुमान है। इसमें से 37,454 करोड़ रुपये केंद्र राज्यों को सहायता के तौर पर देगा।
सरकारी बयान के अनुसार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना को 2021-22 से 2025-26 तक जारी रखने को मंजूरी दी गई है, जिससे करीब 22 लाख किसानों को फायदा होगा जिसमें 2.5 लाख अनुसूचित जाति और 2 लाख अनुसूचित जनजाति वर्ग के किसान शामिल हैं। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) की शुरुआत 2015 में की गई थी। इसके तीन घटक त्वरित सिंचाई लाभ कार्यक्रम (एआईबीबी), हर खेत को पानी (एचकेकेपी) और वाटरशेड विकास हैं।
एआईबीपी के तहत कुल अतिरिक्त संभावित सिंचाई क्षेत्र का लक्ष्य 13.88 लाख हेक्टेयर रखा गया है, इसके अलावा 60 चालू परियोजनाओं को पूरा किया जाना है जिसमें 30.23 लाख हेक्टेयर का कमांड क्षेत्र विकास शामिल है। बयान में कहा गया है कि अतिरिक्त परियोजनाओं को भी इसमें लिया जा सकता है।
बयान के अनुसार, हर खेत को पानी खंड के तहत सतही जल स्रोतों के माध्यम से जल स्रोतों के पुनर्जीवन के तहत 4.5 लाख हेक्टेयर सिंचाई तथा उपयुक्त ब्लॉक में भूजल सिंचाई के तहत 1.5 लाख हेक्टेयर की सिंचाई हो सकेगी। जल स्रोतों के उद्धार के महत्त्व के मद्देनजर, मंत्रिमंडल ने शहरी और ग्रामीण इलाकों में जल स्रोतों को दोबारा जीवित करने के लिए वित्तपोषण को मंजूरी दी है। इस योजना में उन्हें शामिल करने के मानदंडों का विस्तार किया गया है तथा केंद्रीय सहायता को आम क्षेत्रों के हवाले से 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 60 प्रतिशत किया गया है।
भूमि संसाधन विकास के स्वीकृत वॉटरशेड विकास घटक में 2021-26 के दौरान संरक्षित सिंचाई के तहत, अतिरिक्त 2.5 लाख हेक्टेयर भूमि शामिल करने के लिए 49.5 लाख हेक्टेयर वर्षा सिंचित अनुपजाऊ भूमि को कवर करने वाली स्वीकृत परियोजनाओं को पूरा करने की परिकल्पना की गई है।
सरकारी बयान के अनुसार, इस पर कल लागत 93,068 करोड़ रुपये आने का अनुमान है जिसमें राज्यों के लिए 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता शामिल है। सीसीईए ने राज्यों के लिए 37,454 करोड़ रुपये की केंद्रीय सहायता तथा पीएमकेएसवाई 2016-21 के दौरान सिंचाई विकास के लिए भारत सरकार द्वारा लिए गए ऋण को चुकाने के वास्ते 20,434.56 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। जल शक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बताया कि दोनों परियोजनाएं, रेणुकाजी बांध परियोजना और लखवार बहुउद्देश्यीय परियोजना, यमुना बेसिन में भंडारण की शुरुआत करेंगी, जिससे यमुना बेसिन के ऊपरी हिस्से के छह राज्यों को फायदा पहुंचेगा।
हर खेत को पानी के भूजल घटक को भी 2021-22 के लिए अस्थायी रूप से मंजूर किया गया। इसका लक्ष्य 1.52 लाख हेक्टेयर भूमि के लिए सिंचाई क्षमता विकसित करना है। वॉटरशेड विकास घटक के तहत वर्षा जल द्वारा सिंचित इलाकों का विकास करने पर जोर दिया गया है। इसके लिए मिट्टी और जल संरक्षण, भूजल की भरपाई, मिट्टी बहने को रोकना तथा जल संरक्षण व प्रबंधन सम्बंधी विस्तार गतिविधियों को प्रोत्साहित करने पर जोर दिया गया है।
