चुनावी शोर बढ़ता जा रहा है, लेकिन दिल्ली में चुनाव का बाजार सिकुड़ता जा रहा है।
पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले चुनावी बाजार के कारोबार में 35 फीसदी से अधिक की गिरावट है। यह गिरावट कोई मंदी के कारण नहीं बल्कि चुनाव आयोग के डंडे एवं छोटे शहरों में विकसित होने वाले चुनावी बाजार के कारण आयी है।
लोक सभा चुनाव के लिए मतदान 16 अप्रैल को शुरू होगा और विभिन्न चरणों में 13 मई तक चलेगा। दिल्ली में चुनाव सामग्री का कारोबार मुख्य रूप से सदर बाजार में होता है और यहां से पूरे देश भर में विभिन्न पार्टियों के झंडे, बैनर व स्टीकर की आपूर्ति की जाती है।
चुनाव बाजार (झंडा, बैनर, पोस्टर, स्टिकर, टोपी एवं डंडे) के कारोबारियों के मुताबिक पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान लगभग 400 करोड़ रुपये का कारोबार हुआ था। इस बार यह व्यापार अधिकतम 250 करोड़ रुपये तक रहने का अनुमान है। सदर बाजार से मुख्य रूप से हरियाणा, राजस्थान एवं उत्तर प्रदेश के आसपास के शहरों में चुनाव सामग्री की आपूर्ति की जाती है।
लेकिन इस साल उत्तर प्रदेश एवं राजस्थान से आने वाले ग्राहकों की संख्या में 40 फीसदी तक की कमी बतायी जा रही है। झंडे एवं बैनर एवं स्टिकर के कारोबारी संजय आहूजा कहते हैं, ‘पिछले लोकसभा चुनाव के दौरान हमने बिहार तक शहरों में झंडों की आपूर्ति की थी लेकिन इस बार वहां से एक भी ऑर्डर नहीं आया है। पूर्वी उत्तर प्रदेश से होने वाली मांग में भी भारी गिरावट है।’
हालांकि पिछले साल के मुकाबले झंडे एवं रंगीन पोस्टर की कीमत में मामूली 5-7 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गयी है। मध्यम आकार के प्रति पोस्टर 3-4 रुपये की दर से बिक रही है तो छोटे झंडे की कीमत 200-250 रुपये प्रति सैकड़ा बतायी जा रही है। विभिन्न पार्टियों के स्टीकर कीमत 75-125 रुपये प्रति सैकड़ा बतायी जा रही है। प्रति टोपी के दाम 2-5 रुपये तक बताये जा रहे हैं।
मांग में आयी कमी के कारण झंडे की सिलाई एवं छपाई करने वाले कारीगरों ने भी अपनी मजदूरी नहीं बढ़ायी है। वे कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के महासचिव प्रवीन खंडेलवाल कहते हैं, ‘पहले सिर्फ दिल्ली में पोस्टर, बैनर छापने वाली बड़ी मशीनें थीं इस कारण यहां सस्ती दरों पर माल उपलब्ध हो जाते थे अब छोटे शहरों में भी मशीनें उपलब्ध हो गयी है इससे यहां के कारोबार पर काफी फर्क आया है।’
पिछले चार लोक सभा चुनाव के दौरान चुनाव सामग्री का कारोबार करने वाले कारोबारी दौलत राम कहते हैं, पहले के लोक सभा चुनावों के दौरान सदर बाजार इलाके के कम से कम 200 से अधिक कारोबारी चुनाव की तारीख का ऐलान होते ही झंडे, बैनर, पोस्टर की तैयारी में जुट जाते थे। और उनके साथ सैकड़ों लोगों को मौसमी रोजगार मिल जाता था।
लेकिन अब इस काम में भारी प्रतिस्पर्धा होने व ऑर्डर में आयी कमी को देखते हुए 100-125 कारोबारी ही इस काम में लगे हैं। चुनाव के एक माह पहले से ही झंडे की सिलाई शुरू हो जाती थी और प्रिंटिग प्रेस के पास बुकिंग की लाइन लग जाती थी।
सदर बाजार कारोबारी महासंघ के प्रधान देवराज बवेजा कहते हैं, ‘चुनाव आयोग की सख्ती के कारण चुनाव प्रचार के तरीकों में काफी बदलाव आया है। जो प्रत्याशी 50 हजार झंडे, टोपी व स्टीकर के ऑर्डर देता था वह अब अधिकतम 30-35 हजार झंडे की खरीदारी कर रहा है। और हाल फिलहाल कोई और चुनाव नहीं होने के कारण भी कारोबारी अधिक मात्रा में माल स्टॉक करने का जोखिम नहीं ले रहे हैं।’
