कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) एक बार से फिर से ई-बिक्री के माध्यम से कोयले की वायदा नीलामी को शुरू करने जा रहा है।
कोयल की वायदा नीलामी 28 मार्च से शुरू होगी और उम्मीद की जा रही है कि आगामी वित्त वर्ष के दौरान इसके जरिए 4 करोड़ टन कोयले की बिक्री होगी। इस बिक्री के लिए चार वायदा ई-नीलामी होगी तो 12 हाजिर ई-नीलामी की जाएगी। सीआईएल के मार्केटिंग निदेशक के रंगनाथन ने बताया कि वित्तीय वर्ष की हर तिमाही में एक-एक वायदा ई-नीलामी होगी।
इससे साल के 12 महीने कवर हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इस माध्यम से कंपनी साल भर के लिए कोयले की आपूर्ति के मामले में आश्वस्त हो जाएगी।समझा जा रहा है कि वायदा ई-नीलामी के जरिए 1.5 करोड़ टन कोयले की बिक्री होगी तो हाजिर ई-नीलामी के जरिए यह बिक्री 2.5 करोड़ टन की होगी। हाजिर ई-नीलामी के दौरान कोयले का बिक्री मूल्य अधिसूचित बिक्री मूल्य से 30 फीसदी ज्यादा होगा। अधिसूचित बिक्री मूल्य 800 रुपये प्रतिटन है।
उसी ढ़ंग से वायदा ई-नीलामी के लिए भी सुरक्षित मूल्य अधिसूचित मूल्य से 30 फीसदी अधिक रखा गया है। रंगनाथन ने बताया कि इस बिक्री के लिए सुरक्षित मूल्य को सीआईएल की वेबसाइट पर जारी कर दिया जाएगा। और इस प्रक्रिया में कोई भी उपभोक्ता बिना किसी व्यापारी को शामिल किए कोयले की खरीद के लिए निविदा भर सकता है।
कोयले की नई वितरण नीति के मुताबिक सीआईएल ने ई-नीलामी के जरिए वर्ष 2008-09 व वर्ष 09-10 के लिए कुल 8 करोड़ 30 लाख टन कोयले व उसके उत्पादों को बेचने का लक्ष्य रखा है। यह लक्ष्य दो साल में कुल कोयले उत्पादन का मात्र 10 फीसदी है। आने वाले समय में सीआईएल ई-बिक्री की मात्रा को बढ़ाने का प्रयास करेगा। सीआईएल इसकी बिक्री को कुल कोयले उत्पादन का 15 से 30 फीसदी तक ले जाना चाहता है।
चालू वित्त वर्ष में सीआईएल ने 380 मिलियन टन कच्चे कोयले के उत्पादन का लक्ष्य रखा है जबकि वर्ष 2008-09 के लिए यह लक्ष्य 405 मिलियन टन तय किया गया है।28 मार्च को होने वाली ई-नीलामी को सीआईएल की सहायक वेस्टर्न कोलफील्ड्स लिमिटेड (डब्ल्यूसीएल) की तरफ से अंजाम दिया जाएगा। जबकि 31 मार्च को यह नीलामी नादर्न कोलफील्ड्स के माध्यम से की जाएगी।
इसके अलावा सीआईएल पॉवर एंड स्टेट इलेक्ट्रीसिटी बोर्ड (एसईबी) के साथ मिलकर फ्यूल सप्लाई एग्रीमेंट (एफएसए) पर काम कर रहा है। रंगनाथन ने बताया कि इस मामले में आगामी 5 अप्रैल तक सभी पॉवर कंपनियों व एसईबी को इससे जुड़े मसौदे को वितरित कर दिया जाएगा। 15 अप्रैल को इस मसौदे पर विचार विमर्श किया जाएगा और उम्मीद है कि 15 मई से पहले एफएसए को अंतिम रूप दे दिया जाएगा।
एसईबी से सलाह के बाद इस एफएसए के मसौदे को क्रेडिट रेटिंग इंफॉरमेशन सर्विस ऑफ इंडिया (क्रिसिल) द्वारा तैयार किया जा रहा है। इस द्विपक्षीय एफएसए के जरिए उपभोक्ता व सीआईएल दोनों को फायदा होगा। जिस यूनिट को सालाना 4200 टन से कम कोयले की जरूरत होती है वे अपनी मर्जी के हिसाब से सीआईएल के साथ हुए एफएसए के तहत आ सकते है। उन्हें इस समझौते के तहत आने की कोई बाध्यता नहीं होगी।
एफएसए के गठन के लिए सीआईएल से आठ सरकारों ने संपर्क किया है। इस माध्यम के लिए कुल 80 लाख टन कोयले का आवंटन किया गया है। और सभी प्रांतों को कम से कम 11 लाख टन कोयले का आवंटन किया जाएगा। इस काम के लिए पश्चिम बंगाल सरकार ने वेस्ट बंगाल मिनरल डेवलपमेंट एंड ट्रेडिंग कॉरपोरेशन नामक कंपनी को नामित किया है। इस कंपनी ने एफएसए के लिए सीआईएल से संपर्क किया है।
सीआईएल पॉवर बोर्ड को एक निर्धारित मूल्य पर जरूरत की कुल पूर्ति करेगा। इनमें प्रांतों को मिलने वाले 80 लाख टन कोयले के अलावा ई-नीलामी का 40 लाख टन कोयले भी शामिल होंगे। देश में 1200 ऐसे उपभोक्ता हैं जो पूर्ण रूप से सीआईएल से कोयला लेते है। इनमें ऊर्जा, स्टील, सीमेंट, खाद, अल्युमिनियम, पेपर, भारत सरकार का सार्वजनिक उपक्रम, व अन्य छोटे उद्योग शामिल हैं।