प्राथमिक इस्पात विनिर्माता अब अब भी अपने अयस्क के मामले में खुले बाजार के लिए तैयार नहीं हैं, इस वजह से घरेलू लौह अयस्क आपूर्ति की राहत में कुछ समय लग सकता है। आर्सेलरमित्तल निप्पॉन स्टील (एएम/एनएस) के मुख्य कार्याधिकारी दिलीप उम्मेन ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ओडिशा की नीलामी में हमें दो खदानों (सगासाही और ठकुरानी) का आवंटन किया गया था जिनमें से सगासाही नई खदान होने के कारण उत्पादन में कुछ समय लगेगा। हम उम्मीद कर सकते हैं कि यह वित्त वर्ष 22 में किसी समय शुरू हो जाएगी, न कि तुरंत।
मुख्य रूप से ओडिशा में गैर-परिचालित खदानों की वजह से पिछले कुछ महीनों के दौरान इस्पात विनिर्माण में इस्तेमाल किए जाने वाले प्रमुख कच्चे माल लौह अयस्क की अनुपलब्धता के कारण घरेलू इस्पात के दाम आसमान में पहुंच गए थे। कच्चे माल के अधिक दामों, मांग में इजाफे और इस्पात के अंतरराष्ट्रीय दामों में 56 प्रतिशत वृद्धि के कारण घरेलू हॉट-रोल्ड कॉइल (एचआरसी) के दाम जुलाई से दिसंबर 2020 के बीच तकरीबन 54 फीसदी बढ़ चके हैं, जो जून 2020 के आखिर में 36,250 रुपये प्रति टन के स्तर पर थे।
दामों में जनवरी 2021 में और इजाफा हुआ तथा ये बढ़कर 58,000 रुपये प्रति टन तक के रिकॉर्ड स्तर तक पहुंच गए, लेकिन अंतिम-उपयोगकर्ता उद्योगों की ओर से प्रतिरोध के परिणामस्वरूप कटौती किए जाने से वर्तमान में दाम 56,000 रुपये प्रति टन के आसपास चल रहे हैं।
उम्मेन ने कहा कि फिलहाल हम केवल ठकुरानी खदान से ही आपूर्ति कर रहे हैं, जो हमारी खुद की जरूरत के लिए पर्याप्त नहीं है और हम इसके अलावा बाहर से भी खरीद कर रहे हैं। इसलिए वर्तमान में अयस्क की वाणिज्यिक बिक्री का कोई सवाल ही नहीं है।
वर्ष 2020 में वैश्विक महामारी से पहले वर्ष 2019 में संपन्न हुई ओडिशा लौह अयस्क खदान नीलामी में लगभग दो अरब टन अयस्क की नीलामी हुई थी। इसमें से सज्जन जिंदल के नेतृत्व वाली जेएसडब्ल्यू स्टील और एएम/एनएस के बीच करीब 1.6 अरब टन का वितरण किया गया है, जो संसाधन के रूप में 50 प्रतिशत से अधिक है। कंपनियां को अपने उत्पादित अयस्क का 25 प्रतिशत तक भाग खुले बाजार में बेचने की अनुमति दी गई है, जो उनके निजी उपभोग से कही अधिक है।
स्टीलमिंट के आंकड़ों के अनुसार 3.391 करोड़ टन के लक्ष्य के मुकाबले वित्त वर्ष 21 की अप्रैल से नवंबर की अवधि के दौरान नीलाम किए गए अयस्क से 94.3 लाख टन उत्पादन हुआ है। वित्त वर्ष 20 की समान अवधि में यह लक्ष्य 4.961 करोड़ टन था।
