देश में कोयला की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता की स्थिति पैदा हो गई है। बिजली उत्पादक कंपनियों का कहना है कि उन्हें पर्याप्त कोयला नहीं मिल रहा है। दूसरी तरफ कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) का कहना है कि वह कोयला की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए युद्ध स्तर पर उपाय कर रही है।
1 सितंबर से अब तक ऐसे बिजली संयंत्रों की संख्या 79 से बढ़कर 109 हो गई हैं जिनके पास आठ दिनों से भी कम का कोयला भंडार शेष रह गया है। हालांकि सरकारी अधिकारियों का कहना है कि देश में बिजली की कमी नहीं है और इसकी आपूर्ति में व्यवधान पैदा होने की आशंका नहीं है। ग्रिड का परिचालन करने वाली बिजली प्रणाली परिचालन निगम (पोसोको) के अनुसार 2 अक्टूबर को राष्ट्रीय स्तर पर बिजली की कमी 2.1 करोड़ यूनिट थी। एक महीने पहले 2 सितंबर को यह आंकड़ा 1 करोड़ यूनिट था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘सितंबर के दौरान देश के उत्तरी राज्यों में बिजली की मांग बढ़ गई थी। पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश में बिजली की सर्वाधिक मांग देखी गई। अब मॉनसून लौटने और तामपान में कमी से बिजली की मांग स्थिर हो जाएगी।’
बिजली की मांग आने वाले दिनों में भले ही स्थिर हो जाएगी मगर कोयला का अपर्याप्त भंडार चिंता बढ़ाने वाला है। हालांकि कोयला मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि सीआईएल ने कोयला की आपूर्ति बढ़ा दी है। मंत्रालय के एक अधिकारी ने कहा, ‘बिजली उद्योगों में कोयला की रोजाना मांग 18 लाख टन है जिनमें 13.5 लाख टन मांग सीआईएल पूरा करती है। कंपनी 16 लाख टन कोयला की आपूर्ति कर रही है और इस सप्ताह इसे बढ़ाकर 17 लाख टन तक कर देगी।’
अधिकारी ने पोसोको के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि देश में बिजली की कोई कमी नहीं है। उन्होंने कहा कि सालाना आधार पर सितंबर तक ताप बिजली उत्पादन 24 प्रतिशत तक बढ़ गया था और अक्षय ऊर्जा के उत्पादन में भी 16 प्रतिशत तेजी दर्ज हुई थी। अधिकारी ने कहा, ‘बिजली आपूर्ति में कोयला की महत्ता बरकरार है और इसकी पर्याप्ता आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक उपाय किए जा रहे हैं।’
बिजली उत्पादक कंपनियों, खासकर एनटीपीसी लिमिटेड का दावा है कि उनके पास अब केवल चार दिनों का कोयला भंडार शेष रह गया है जबकि आगामी त्योहारों को देखते हुए बिजली की मांग बढऩी तय है। बिजली मंत्रालय ने हाल में कहा था कि पर्याप्त कोयला भंडार तैयार करने के लिए इसकी आपूर्ति बढ़ाना जरूरी है। मंत्रालय ने कहा था कि बिजली की मांग फिलहाल अपने मौजूदा स्तर पर बनी रह सकती है।
मंत्रालय ने यह भी कहा था कि इस वित्त वर्ष ताप बिजली संयंत्र 70 करोड़ टन से अधिक कोयला इस्तेमाल कर सकती हैं इसलिए इसकी आपूर्ति में बाधाएं दूर करने के लिए कोयला, बिजली और रेल मंत्रालयों ने एक व्यापक रणनीति तैयार की है। कोयला मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि सीआईएल कोयला की कीमत हालात के हिसाब से तय करती है इसलिए इसकी आपूर्ति एवं मांग में किसी तरह के असंतुलन से उपभोक्ताओं पर किसी तरह का असर नहीं होगा।
