गत जनवरी महीने में जूट उत्पाद व उसके स्टॉक में गत दिसंबर महीने के मुकाबले गिरावट का रुख देखा गया।
इंडियन जूट मिल्स एसोसिएशन से जारी इस रिपोर्ट के बाद आने वाले महीनों में जूट उत्पाद के आयात में बढ़ोतरी की संभावना व्यक्त की जा रही है।
साथ ही इस उत्पाद के मूल्य में बढ़ोतरी की भी पूरी आशंका जाहिर की गई है। आईजेएमए से जारी आंकड़ों के मुताबिक दिसंबर, 2007 में जूट निर्मित वस्तुओं का उत्पाद 1.41 लाख टन किया गया था जबकि जनवरी 2008 में इसका उत्पादन घटकर 1.36 लाख टन पर पहुंच गया।
इसके स्टॉक में भी एक महीने के दौरान 17,600 टन की कमी आई है। दिसंबर, 2007 में इसका स्टॉक जहां 82,500 टन था वही जनवरी महीने में यह मात्र 64,900 टन रह गया।
इस गिरावट से घरेलू जूट उद्योग पर काले बादल मंडराने लगे है। जूट उत्पाद के निर्यात में भी एक महीने के दौरान गिरावट दर्ज की गई। दिसंबर, 2007 में 17,000 टन का निर्यात किया गया था जो जनवरी महीने में मात्र 14,500 टन रह गया।
हेसियन व सैकिंग के स्तर पर निर्यात में सबसे अधिक गिरावट दर्ज की गई है। गत दिसंबर में 5,900 टन हेसियन का निर्यात किया गया तो 2600 टन सैकिंग का। जनवरी महीने में यह गिरावट के साथ 5000 व 1300 टन के स्तर पर पहुंच गया।
आईजेएमए के चेयरमैन संजय कजारिया के मुताबिक आयात के कारण देसी जूट उद्योग से जुड़े उत्पादों की मांग में लगातार कमी आ रही है।
डयूटी से मुक्त होने के कारण बांग्लादेश, नेपाल, इंडोनेशिया व चीन से आने वाले जूट की देसी बाजार में भरमार हो गई है। ये जूट देसी जूट उद्योग को बर्बाद कर रहे हैं।
हमें इस बात की आशंका है कि आने वाले साल में इसके आयात में 100 फीसदी तक की बढ़ोतरी दर्ज की जा सकती है। देश में वर्ष, 2007 में जूट वस्तुओं के 55,000टन का आयात किया गया था। हालांकि कच्चे जूट में स्थिरता कायम है।
कच्चे जूट को भी बांग्लादेश से आयात होने वाले फाइबर से खतरा है। जनवरी, 2008 में कच्चे जूट के गांठ के स्टॉक 12.98 लाख थे। गत जनवरी के दौरान इसकी खपत 7.8 लाख गांठ की गई।
घरेलू लिहाज से सिर्फ सिल्वर लाइन की खपत में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। दिसंबर, 2007 में इसकी खपत 1.37 लाख टन थी जो जनवरी में बढ़कर 1.39 लाख टन हो गई। सबसे अधिक बढ़ोतरी हेसियन के उत्पाद में हुई।
इसका उत्पादन इस दौरान 24,100 टन से बढ़कर 25,700 टन हो गया। हालांकि आईजेएमए ने वर्ष 2006-07 के जनवरी से जुलाई के मुकाबले वर्ष 07-08 के इसी अवधि के दौरान इसकी खपत व निर्यात में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है।
अनुमान के मुताबिक इसकी खपत 7.03 लाख टन से बढ़कर 7.92 लाख टन हो जाएगी वही इसका निर्यात 1.10 लाख टन से बढ़कर 1.18 लाख टन हो जाएगा।
इस अवधि के दौरान खपत व निर्यात के जोड़ में भी बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है। जो 8.13 लाख टन से बढ़कर 9.10 लाख टन हो जाएगा।