पापड़, पराठा और फ्रायम के बाद एक अन्य खाद्य वस्तु चीज बॉल पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दर का मुद्दा विवाद का विषय बन गया है।
एक ओर जहां उत्तर प्रदेश में जीएसटी प्राधिकारियों और एडवांस रूलिंग प्राधिकरण (एएआर) ने चीज बॉल को किसी भी खाद्य वस्तु के अंतर्गत नहीं आने के कारण 18 फीसदी कर के दायरे में रख दिया, वहीं याची सवेंसिया फ्रोमेज ऐंड डेयरी प्राइवेट लिमिटेड ने पनीर के तहत रखने को कहा है जिस पर 12 फीसदी जीएसटी वसूला जाता है।
कंपनी का इरादा ब्रेड से चीज बॉल बनाने का था। उसने कहा कि बॉल के अंदर पनीर के अलावा अन्य सामग्री होने से उसका स्वरूप पनीर से अलग नहीं हो जाता बशर्ते कि सामग्री पनीर के चरित्र को बरकरार रखे। एएआर में हार का सामना करने के बाद कंपनी ने राज्य में एडवांस रूलिंग के लिए अपील प्राधिकरण (एएएआर) का रुख किया और वहां पर तर्क दिया कि पनीर उसके उत्पादों का सबसे अहम घटक है और कुल मात्रा में इसकी हिस्सेदारी 55 फीसदी की है। उसने कहा कि इस उत्पाद को पनीर के बिना तैयार नहीं किया जा सकता है। उसने कहा कि बैटर और ब्रेड का लेप आवश्यक नहीं है और इसे आसानी से बदला जा सकता है। कंपनी ने तर्क दिया कि केवल पनीर ही है जो विवादित सामग्री को किसी अन्य ब्रेड युक्त उत्पाद से अलग करता है।
एएएआर कंपनी के तर्क से सहमत हुआ और उसने इस पर 18 फीसदी जीएसटी लगाने के एएआर के आदेश को हटा दिया।
केपीएमजी में पार्टनर हरप्रीत सिंह ने कहा, ‘एक बार फिर से जोर घटकों और सामानों को तैयार करने की प्रक्रिया पर दिया गया है। साथ ही, यह भी कहा गया कि जब तक उत्पाद (पनीर) का जरूरी चरित्र बरकरार रहता है तब तक वर्गीकरण में केवल इसलिए बदलाव नहीं होगा कि उसमें ब्रेड, शाक आदि कोई अन्य सामग्री मिली हुई है।’
