सोमवार को जीरा वायदा इस साल केसबसे निचले स्तर पर उतर आया यानी यह
जीरे के मुख्य मंडी गुजरता के ऊंझा में जीरे की आवक
20 हजार बैग (50 किलो प्रति बैग) की रही जबकि एक पखवाड़े पहले यह 10-12 हजार बैग की आवक थी। अगले एख महीने तक फ्रेश जीरे की सप्लाई जारी रहने की संभावना जताई गई है।
एग्रीवॉच कमोडिटी की विशेषत्र सुधा आचार्य ने बताया कि अच्छी आवक और कम खरीदारी के चलते जीरा वायदा में नरमी है और यह आने वाले दिनों में जारी रहने की संभावना है। हालांकि उन्होंने कहा कि इसमें रिकवरी आएगी
, लेकिन उसमें थोड़ा वक्त लगेगा।
बाजार के अनुमानों के मुताबिक, इस साल जीरे की फसल
पिछले साल के मुकाबले 50-60 फीसदी ज्यादा होगी। यही वजह है कि इसमें फिलहाल नरमी देखी जा रही है। ऊंझा स्थित एक व्यापारी ने बताया कि फिलहाल बाजार में न तो कोई स्टॉकिस्ट है और न ही हेजिंग करने वाले। एक बार जब इन लोगों का आना शुरू हो जाएगा तो बाजार में स्थिरता आ जाएगी। एक सप्ताह पहले विदेशों से 8 हजार बैग जीरे की डिमांड थी, जो अभी घटकर 5 हजार बैग पर आ गई है। उन्होंने कहा कि जो भी गिरावट होगी, मार्च में होगी, अप्रैल में जीरे पर कोई संकट नहीं आने वाला। अगले महीने घरेलू के साथ–साथ निर्यात के लिए मांग निकलेगी और दिल्ली, कानपुर व हैदराबाद के बाजार से जीरे केथोक खरीदार आएंगे।
नकदी बाजार में जीरा फिलहाल
8750-9250 रुपये प्रति क्विंटल है जबकि एक सप्ताह पहले यह 9500-10000 रुपये प्रति क्विंटल के स्तर पर था। एंजेल कमोडिटी के विशेषज्ञ के मुताबिक, फिलहाल घरेलू व विदेशी खरीदार वेट एंड वॉच की रणनीति अपना रहे हैं क्योंकि जीरे की कीमत गिर रही है। इसी वजह से बाजार में खरीदारी नहीं हो रही।