कमोडिटी ट्रांजैक्शन टैक्स (सीटीटी) अगले दो महीने के भीतर लागू हो सकता है।
सीटीटी सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज (सीबीडीटी) द्वारा लागू किया जाएगा और कमोडिटी के वायदा और विकल्प के विक्रेताओं पर यह 0.017 प्रतिशत की दर से लगाया जाएगा। विकल्प के खरीदारों को , प्रत्येक लेन-देन के मूल्य के आधार पर 0.125 प्रतिशत का भुगतान करना पड़ेगा।
कमोडिटी एक्सचेंजों और कारोबारियों ने वर्ष 2008-09 के बजट में लाये गए इस कर (सीटीटी) को लागू नहीं होने देने या कम करने के लिए लामबंदी की। पिछले सप्ताह जब वित्त विधेयक 2008 को संसद की मंजूरी मिल गई तो यह स्पष्ट हो गया कि वित्त मंत्रालय इसमें किसी तरह की रियायत नहीं देने जा रहा है।
ऐसा अनुमान है कि अगले कुछ दिनों में इस विधेयक को राष्ट्रपति की स्वीकृति मिल जाएगी और इसके सभी प्रावधान स्वीकृति मिलने के बाद कानून बन जाएंगे। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, हालांकि, सीटीटी लागू किए जाने संबंधी अधिसूचना केवल दिशानिर्देशों को अंतिम रुप दिए जाने के एक या दो महीने में जारी किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है सिक्योंरिटी ट्रांजैक्शन शुल्क (एसटीटी), जिसके आधार पर कमोडिटी ट्रांजैक्शन शुल्क बनाया गया है, को वर्ष 2004 में घोषित किए जाने के बाद लागू होने में तीन महीने का समय लगा था।
भारत के 24 कमोडिटी एक्सचेंजों के कर्मचारियों, जो कारोबारियों से यह टैक्स वसूलेंगे, को भी इस टैक्स के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराया जाएगा। महीने भर में संग्रहित कर को महीने के प्रथम सप्ताह में केंद्रीय राजकोष में जमा किया जाएगा। वर्ष 2007-08 में इन एक्सचेंजों पर कुल 40 लाख करोड़ रुपये का कारोबार किया गया।
आयकर विभाग को अनुमान है कि लागू किए जाने के पहले साल में इस कर से लगभग 5,000 करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। सीटीटी से प्राप्त आंकडे क़ी छानबीन आयकर विभाग द्वारा की जा सकती है ताकि संभावित कर चोरी का पता लगाया जा सके।