कच्चे तेल की कीमत में गिरावट की आशंका जाहिर की जा रही है। माना जा रहा है कि यह गिरावट अगले सप्ताह तक आएगी।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था में कमी के कारण कच्चे तेलों की खपत में कमी व डॉलर में आ रही मजबूती के तहत इस गिरावट की आशंका व्यक्त की जा रही है।ब्लूमबर्ग द्वारा कराए गए एक सर्वे के मुताबिक 85 फीसदी विशेषज्ञों ने इस बात की संभावना व्यक्त की है कि आगामी 27 मार्च तेलों की कीमत में गिरावट आएगी।
इनमें से 12 फीसदी लोगों ने कहा कि भविष्य में तेलों की कीमत में बढ़ोतरी होगी तो एक ने कहा कि कच्चे तेल के भाव में हल्की फेरबदल होगी। गत सप्ताह 43 फीसदी विशेषज्ञों ने यह अनुमान लगाया था कि कच्चे तेल के दाम में गिरावट आएगी।अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में कटौती के बाद डॉलर में मजबूती दर्ज की गई है।
ऊर्जा विभाग के मुताबिक कच्चे तेल की मांग में कमी आई है। गत वर्ष के मुकाबले इस साल मार्च के दूसरे सप्ताह में कच्चे तेल की मांग में 3.2 फीसदी की गिरावट देखी गई। एक ऊर्जा विशेषज्ञ के मुताबिक डॉलर की कीमत में मजबूती के बाद कच्चे तेल के बाजार में लंबे समय तक तरलता रह सकती है।
दूसरी तिमाही में मांग से अधिक कच्चे तेल की आपूर्ति की संभावना है। तब प्रतिदिन 1.5 मिलिय बैरल कच्चे तेल की आपूर्ति हो सकती है। ऊर्जा और धातु की कीमत में बीते साल से काफी मजबूती देखी गई है। क्योंकि अमेरिकी डॉलर के गिरने से निवेशकों ने इस क्षेत्र में निवेश करना शुरू कर दिया। ऊर्जा विभाग द्वारा 19 मार्च को जारी रिपोर्ट के मुताबिक अमेरिका में कच्चे तेल के स्टॉक में भारी बढ़ोतरी देखी गई है।
गत सप्ताह इसके स्टॉक में 311.8 मिलियन बैरल की बढ़ोतरी देखी गई और यह 133,000 बैरल के स्तर पर पहुंच गया। मई के लिए कच्चे तेल के दाम में प्रति बैरल 6.90 डॉलर की गिरावट हो सकती है। यानी कि अगले महीने कच्चे तेल की कीमत में 6.4 फीसदी की गिरावट हो सकती है। 17 मार्च को कच्चे तेल के एक बैरल की कीमत 111.80 डॉलर थी। 1983 के बाद से यह कीमत सबसे अधिक देखी गई। शुक्रवार को न्यूयॉर्क व लंदन का बाजार गुड फ्राइडे के कारण बंद रहेगा।
विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि कच्चे तेल की कीमत में आगामी 10 सप्ताह के लिए गिरावट आएगी। हालांकि इस कीमत में तीसरे सप्ताह तक कुछ सुधार हो सकता है।कच्चे तेल की कीमत को लेकर ब्लूमबर्ग की तरफ से हर गुरुवार को एक सर्वे का आयोजन किया जाता है।
इस सर्वे में तेल समीक्षक व व्यापारियों को शामिल किया जाता है। इस सर्वे के दौरान समीक्षक व व्यापारियों से इस बात को लेकर सवाल किए जाते हैं कि अगले सप्ताह तेल की कीमत का क्या रुख रहेगा। क्या उसमें इजाफा होगा या क्या कीमत स्थिर रहेगी?