एशिया के बाजार में कच्चे तेल की कीमत एक नए रिकार्ड के साथ प्रति बैरल 110.20 डॉलर के स्तर पर पहुंच गई है। माना जा रहा है कि यूरो के मुकाबले अमेरिकी डॉलर में आई अबतक की सबसे बडी गिरावट के कारण तेल के दाम इस स्तर पर पहुंच गए।
अमेरिकी डॉलर येन के मुकाबले भी कमजोर हुआ है जिस कारण निवेशकों का रुझान जिंस खरीदारी की ओर देखा गया। डॉलर के कमजोर होने के कारण निवेशक जिंस बाजार को निवेश के लिहाज से सबसे सुरक्षित जगह मान रहे हैं।
यूरो के मुकाबले डॉलर की कीमत में 1999 से लेकर अब तक की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई। उसी ढ़ंग से येन के मुकाबले दिसंबर 1995 के बाद अमेरिकी डॉलर में सबसे अधिक गिरावट पाई गई। इस कारण निवेशक तेल व सोने की खरीदारी करने में अपनी भलाई समझ रहे है।
न्यूयार्क स्थित सिटीग्रूप ग्लोबल मार्केट इंक के ऊर्जा विश्लेषक टीम इवान कहते हैं, ‘डॉलर में आई गिरावट के कारण एक बार फिर से हमलोग मजबूर है।
लोग तेल की कमी के कारण नहीं बल्कि अमेरिकी डॉलर के कमजोर होने या महंगाई के जोखिम को देखते हुए कच्चे तेल की खरीदारी कर रहे है।’
न्यूर्याक मकर्टाइल एक्सचेंज के मुताबिक सुबह 9.40 बजे अप्रैल महीने में डिलवरी होने वाले कच्चे तेल की कीमत एक सेंट की बढ़ोतरी के साथ प्रति बैरल 109.92 डॉलर पर थी। न्यूयार्क के ऊर्जा रिसर्चर कहते हैं, ‘तेल की खरीदारी अन्य निवेश वाली जगहों के मुकाबले बेहतर होने के कारण की जा रही है।
न कि इसकी मौलिकता के कारण। डॉलर में आई गिरावट इस साल कमोडिटि बाजार में हो रहे इजाफे के लिए सबसे बड़ा कारक साबित हो रही है।’
विश्लेषकों का मानना है कि एकाएक बाजार में बहुत सारे पैसे निवेश के लिए जमा हो गए हैं और निश्चित रूप से जिंसों के बीच कच्चे तेल का क्षेत्र निवेश के लिए सबसे प्रिय स्थान साबित हो रहा है।
डॉलर के लगातार कमजोर होने के कारण भी विश्व में कच्चे तेल की कीमत में बढ़ोतरी हो रही है।
क्योंकि कच्चे तेल का मूल्यांकन डॉलर में किया जाता है और डॉलर सस्ता होने से मजबूत करेंसी को रखने वाले लोगों को तेल की खरीदारी में आसानी हो रही है।
गौरतलब है कि गत 6 मार्च को तेल की कीमत प्रति बैरल 105 डॉलर के स्तर पर थी। इधर अप्रैल के लिए गैसोलाइन की कीमत में भी 0.25 सेंट की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।
इसके साथ ही इसकी कीमत 2.7286 डॉलर प्रति गैलन के स्तर पर पहुंच गई। जबकि 11 मार्च को इसकी कीमत 2.7435 डॉलर प्रतिगैलन थी।
कच्चे तेल में निवेश करने वालों की संख्या में गत सप्ताह के मुकाबले 1.9 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई जो समान अवधि में पांच साल के औसत से अधिक है।
अमेरिका में इस समय कच्चे तेल की मांग में कमी आ जाती है और गैसोलाइन की खपत बढ़ जाती है।
दूसरी ओर व्हाइट हाउस के प्रवक्ता के मुताबिक अमेरिकी खुफिया विभाग इस बात की तफ्तीश कर रहा है कि कही वेनेजुएला व आतंकी संगठन के बीच कोई सांठगांठ तो नहीं है।
गौरतलब है कि दक्षिण अमेरिका का यहदेश गत वर्ष अमेरिका में तेल आपूर्ति करने वाले देशों में चौथे स्थान पर था।