दुनिया के मुख्य तेल उत्पादक द्वारा उत्पादन योजनाओं पर सहमति बनाने में विफल रहने के बाद मंगलवार को तेल कीमतें चढ़कर तीन साल की ऊंचाई पर पहुंच गईं।
संयुक्त अरब अमीरात द्वारा उत्पादन नियंत्रण के लिए आठ महीने के प्रस्तावित विस्तार को खारिज किए जाने के बाद पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) और उसके सहयोगियों द्वारा वार्ताओं से परहेज किया गया। कुछ ओपेक+ अधिकारियों का कहना है कि अगस्त में तेल उत्पादन वृद्घि नहीं होगी, जबकि अन्य का कहना है कि नई बैठक आगामी दिनों में होगी और उन्हें भरोसा है कि अगस्त में उत्पादन में तेजी आएगी।
कच्चे तेल के कारोबारियों ने ब्रेंट को 77.66 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंचाने में योगदान दिया, जो अक्टूबर 2018 के बाद से सर्वाधिक स्तर है, और अमेरिकी क्रूड 2014 के बाद से सर्वाधिक स्तर पर पहुंचकर 76.90 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गया है। तेल में इस साल करीब 50 प्रतिशत की तेजी आई है और पिछले साल कोविड-आधारित गिरावट के बाद से इसमें 385 प्रतिशत की तेजी दर्ज की गई है।
यूनिक्रेडिट के विश्लेषकों का कहना है, ‘बाजार की सख्ती को देखते हुए आगामी सप्ताहों में कुछ अतिरिक्त बैरल तेल उत्पादन के बगैर ब्रेंट 80 डॉलर प्रति बैरल के दायरे को पार कर सकता है।’ मुख्य पेट्रो मुद्राओं में इससे उत्साह बढ़ा है।
