कच्चे तेल की कीमतों में लगातार जारी गिरावट के मद्देनजर वियना में हुई आपात बैठक में ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंपनीज (ओपेक) ने एक नवंबर से कच्चे तेल के दैनिक उत्पादन में 15 लाख बैरल की कटौती करने का निर्णय किया है।
विश्लेषकों का अनुमान था कि वैश्विक आर्थिक मंदी के कारण उत्पन्न हुए आर्थिक संकट से ऊर्जा की मांग में आई की की वजह से ओपेक अपने दैनिक उत्पादन में कम से कम 10 लाख बैरल की कटौती करेगा।
ओपेक के मंत्री चाहते थे कि कच्चे तेल की लगातार कीमतों को संभालने के लिए उत्पादन में कटौती की जाए। कच्चे तेल के उत्पादन में कटौती संबंधी घोषणा किए जाने के तुरंत बाद ब्रेंट नॉर्थ सी क्रूड की कीमतें घट कर 61.08डॉलर प्रति बैरल हो गई।
उल्लेखनीय है कि ऐसी कीमत मार्च 2007 के बाद पहली बार देखने को मिली है। न्यूयॉर्क का मुख्य सौदा, दिसंबर डिलिवरी वाले लाइट स्वीट क्रूड की कीमत 63.05 डॉलर प्रति बैरल हो गई जो मई 2007 के बाद की सबसे कम कीमत है।
मात्र तीन महीने पहले जब आपूर्ति संबंधी चिंताओं की वजह से कच्चे तेल की कीमतें 147 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार गई थीं तब से अब तक लंदन में कच्चे तेल के वायदा मूल्यों में लगभग 60 प्रतिशत की कमी आई है।
ओपेक के अघ्यक्ष चाकिब खलिल ने बताया कि तेल उत्पादक देशों के समूह द्वारा उत्पादन में कटौती किए जाने के निर्णय से महंगाई या आर्थिक विकास पर कोई विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा। उन्होंने कहा, ‘महंगाई पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। विकास भी इसके प्रभावों से अछूता रहेगा।’
ब्रिटेन के प्रधान मंत्री गॉर्डन ब्राउन ने ओपेक की बैठक से पहले कहा था कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए उठाया जाने वाला कदम ‘निंदनीय’ होगा वह भी ऐसे समय में जब ब्रिटेन और अमेरिका मंदी के कगार पर हैं।
हालांकि, आज की बैठक से पहले ईरान, जो ओपेक का दूसरा सबसे बड़ा तेल निर्यातक है, और लीबिया दोनों ने 20 लाख बैरल प्रति दिन के कटौती की बात कह रहे थे जबकि वेनेजुएला ने कहा कि उत्पादन में कम से कम 10 लाख बैरल की कटौती होनी चाहिए।
आज वैश्विक बाजार में गिरावट देखी गई। लंदन के बाजार में लगभग सात प्रतिशत की कमी आई और यह प्रभाव तीसरी तिमाही में ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था में आई गिरावट की खबर का था।
ओपेक में अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, सऊदी अरब, यूनाइटेड अरब अमीरात और वेनेजुएला शामिल हैं। 13 वें सदस्य इंडोनेशिया की सदस्यता निलंबन की स्थिति में है। आधिकारिक तौर पर इंडोनेशिया ओपेक से साल 2008 के अंत में बाहर होगा।